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Bengaluru Doctor Murder Case: गैस्ट्रिक की दवा बता डॉक्टर पति ने पत्नी को लगाई जहरीली सुई, मौत के 6 माह बाद राज से उठा पर्दा

Bengaluru Doctor Murder Case: 6 महीने पहले हुई महिला डॉक्टर की मौत को नेचुरल डेथ माना गया था, लेकिन जब पुलिस ने जांच शुरू की तो होश उड़ गए. जांच में ये सामने आया कि ये मामला हत्या का है, जिसके बाद पति को गिरफ्तार कर लिया गया.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Bengaluru Doctor Murder Case
Courtesy: Gemini AI

Bengaluru Doctor Murder Case: बेंगलुरु में महिला डर्मटॉलिजिस्ट की मौत की घटना के 6 महीने बीत जाने के बाद पुलिस ने उसके पति को गिरफ्तार किया है, जिससे महिला डर्मटॉलिजिस्ट की मौत के मामले में नया मोड़ आ गया है. आरोपी पति, जो खुद भी डॉक्टर है, उसे पुलिस ने हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है, जबकि गिरफ़्तारी से पहले महिला डर्मटॉलिजिस्ट की मौत को नेचुरल डेथ माना जा रहा था. 

दरअसल, डॉ. कृतिका एम रेड्डी की 24 अप्रैल, 2025 को मौत हो गई थी. उसकी मौत को नेचुरल डेथ माना जा रहा था, लेकिन 14 अक्टूबर, 2025 को पुलिस ने इस मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके पति डॉ. महेंद्र रेड्डी जीएस को गिरफ्तार किया है. आरोप है कि डॉ. महेंद्र रेड्डी जीएस ने सुनियोजित तरीके से अपनी पत्नी की हत्या की, जिससे घटना नेचुरल डेथ का प्रतीत हो और कानून के मजबूत हाथ उसके गिरेहबान तक न पहुंच सके. 

बता दें कि 29 वर्षीय त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ. कृतिका, मराठाहल्ली के मुन्नेकोलाला स्थित अपने घर में मृत पाई गई थी. उनके पति, जो विक्टोरिया अस्पताल में फ़ेलोशिप कर रहे एक जनरल सर्जन थे, ने शुरू में दावा किया था कि उनकी मृत्यु पाचन संबंधी समस्याओं और निम्न रक्त शर्करा से संबंधित जटिलताओं के कारण हुई थी. हालाँकि, उसके परिवार की लगातार अपील के बाद दोबारा शुरू की गई.

6 महीने पहले हुई महिला डॉक्टर की मौत को माना गया था नेचुरल डेथ

पुलिस ने जब जांच शुरू की, तो चौंकानेवाले तथ्य सामने आए. पुलिस का कहना है कि डॉ. महेंद्र रेड्डी ने कथित तौर पर अपनी चिकित्सा विशेषज्ञता का इस्तेमाल पानी पत्नी को ऐसी दवा देने के लिए किया, जिससे उसकी सांस लेने की क्षमता ख़त्म हो गई और उसकी मौत हो गयी. पोस्टमार्टम और फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (FSL) दोनों रिपोर्टों में 'प्रोपोफोल' के अंशों की पुष्टि हुई, जो प्राकृतिक मृत्यु की पुष्टि नहीं करता. 

जांच में आए फैक्ट के अनुसार महेंद्र रेड्डी यह दावा करते हुए कि यह गैस्ट्रिक समस्याओं के लिए है, अपनी पत्नी को लगातार तीन दिनों से IV इन्फ्यूजन दे रहा था. 23 अप्रैल को, जब वह बेहोश हो गई तो उसे एक निजी अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टरों द्वारा 72 घंटे के परीक्षण की सलाह दिए जाने के बावजूद, उसने कथित तौर पर उसे केवल 36 घंटे बाद ही छुट्टी दे दी, और कुछ ही देर बाद उसकी मृत्यु हो गई.

पोस्टमार्टम से बचने पर अड़ा था, पुलिस का गहराया शक

पुलिस सूत्रों ने यह भी खुलासा किया कि वह पोस्टमार्टम से बचने पर अड़ा था, जिससे संदेह पैदा. 24 अप्रैल को दर्ज की गई अप्राकृतिक मृत्यु रिपोर्ट को बाद में हत्या के मामले में बदल दिया गया, जब FSL ने नशीली दवाओं के ओवरडोज़ की पुष्टि की. वही अब इस मामले में पुलिस ने मृतिका के पति को गिरफ्तार कर लिया है और अग्रिम कार्रवाई शुरू कर दी है.