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Karnataka MLA Expelled: 6 साल के लिए सुस्पेंड, BJP ने शिवराम हेब्बार को पार्टी से बाहर किया; आखिर क्या है अंदरूनी वजह?

Karnataka MLA Expelled: भाजपा ने उत्तर कन्नड़ के विधायक ए शिवराम हेब्बार को छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया है. कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने भाजपा की इस कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं और पार्टी पर पक्षपात का आरोप लगाया है.

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Edited By: Anvi Shukla
Karnataka MLA expelled
Courtesy: social media

Karnataka MLA Expelled: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ से बीजेपी विधायक ए. शिवराम हेब्बार को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर कर दिया गया है. यह फैसला भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय अनुशासन समिति ने लिया है. पार्टी ने उन्हें 'बार-बार पार्टी अनुशासन का उल्लंघन' करने का दोषी पाया और तत्काल प्रभाव से निष्कासित कर दिया.

बीजेपी की ओर से ओम पाठक (केंद्रीय अनुशासन समिति के सदस्य सचिव) द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि 25 मार्च 2025 को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस का जवाब असंतोषजनक पाया गया. 'आप तत्काल प्रभाव से पार्टी के किसी भी पद से हटा दिए गए हैं,' पत्र में लिखा गया.

डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का तंज

शिवराम हेब्बार की निष्कासन पर कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने बीजेपी की 'चुनिंदा अनुशासनात्मक कार्रवाई' पर सवाल खड़े करते हुए कहा: 'नहीं, एसटी सोमशेखर और शिवराम हेब्बार ने विधान सौधा में किसी का बलात्कार नहीं किया है. कई FIR दर्ज हैं, कई जांचें हो चुकी हैं. कुछ विधायकों ने विपक्षी नेता को एड्स का इंजेक्शन देने की कोशिश की, कुछ ने येदियुरप्पा जी को फंसाने की योजना बनाई, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई. मुझे खुशी है कि बीजेपी अब भी उन सभी 'नवरत्नों' को अपनी पार्टी में बनाए हुए है.'

बीजेपी में अंदरूनी असंतोष की झलक?

हेब्बार का निष्कासन कर्नाटक बीजेपी के भीतर बढ़ते असंतोष और गुटबाजी की ओर इशारा करता है. पार्टी द्वारा चुने गए टारगेट्स और उन पर की गई कार्रवाइयों को लेकर विपक्ष ही नहीं, पार्टी के भीतर भी सवाल उठ सकते हैं. इससे आगामी विधानसभा चुनावों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है.

निष्कासन के राजनीतिक मायने

हेब्बार का निष्कासन केवल पार्टी अनुशासन तक सीमित नहीं, बल्कि यह बीजेपी के भविष्य के रणनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है. कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय आने वाले महीनों में कर्नाटक की राजनीति में बड़े बदलावों की शुरुआत हो सकती है.