झारखंड हाईकोर्ट ने 2013 में पकुड़ में 6 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में दो माओवादियों, प्रवीर मुर्मू उर्फ 'प्रवीर दा' और संतन बास्के उर्फ 'ताला दा', को दी गई मौत की सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई करते हुए विभाजित फैसला सुनाया. डिवीजन बेंच के जज रोंगोन मुखोपाध्याय ने दोषियों को बरी करने की राय दी, जबकि जज संजय प्रसाद ने मौत की सजा को बरकरार रखा.
माओवादियों ने कर दी थी 6 पुलिसकर्मियों की हत्या
2 जुलाई 2013 को पकुड़ के एसपी अमरजीत बलिहार के नेतृत्व में एक पुलिस टीम पर माओवादियों ने हमला किया. दो पुलिस वाहनों पर अंधाधुंध गोलीबारी में एसपी बलिहार सहित छह पुलिसकर्मी- राजीव कुमार शर्मा, मनोज हेम्बरम, चंदन कुमार थापा, अशोक कुमार श्रीवास्तव, और संतोष कुमार मंडल शहीद हो गए थे जबकि दो पुलिसकर्मी, लेबेनियस मरांडी और धनराज मरैया, हमले में बच गए थे.
कोर्ट ने दोनों माओवादियों को सुनाई थी मौत की सजा
दुमका सत्र न्यायालय ने 26 सितंबर 2018 को दोनों माओवादियों को मौत की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ प्रवीर और ताला ने हाईकोर्ट में अपील दायर की. 17 जुलाई को 197 पेज के फैसले में, जज मुखोपाध्याय ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों के बयान विश्वसनीय नहीं हैं. उन्होंने बताया, “प्रत्यक्षदर्शी मरांडी और मरैया ने कहा कि हमले के बाद वे बेहोश हो गए थे, इसलिए उन्होंने हमलावरों के नाम नहीं सुने.” उन्होंने दोषसिद्धि और सजा को रद्द कर दिया. वहीं, जज प्रसाद ने कहा कि प्रत्यक्षदर्शियों ने कोर्ट में प्रवीर और ताला की मौजूदगी की पुष्टि की. उन्होंने कहा, “एक IPS अधिकारी और उनकी टीम की ड्यूटी के दौरान क्रूर हत्या किसी सहानुभूति की हकदार नहीं है.”
उन्होंने मौत की सजा बरकरार रखते हुए सरकार को निर्देश दिया कि शहीद एसपी के परिजनों को 2 करोड़ रुपये और उनके बेटे या बेटी को DSP या डिप्टी कलेक्टर की नौकरी दी जाए. अन्य पांच पुलिसकर्मियों के परिवारों को 50 लाख रुपये और चतुर्थ श्रेणी की नौकरी देने का आदेश भी दिया. आगे की प्रक्रिया विभाजित फैसले के बाद मामला अब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के पास जाएगा.