Haryana Assembly Election: हरियाणा में नई सरकार बनाने के लिए एक ही चरण में होने वाली विधानसभा के लिए वोटिंग 5 अक्टूबर को होनी है. इससे पहले अब चुनाव प्रचार आखिरी दौर में पहुंच रही है. इस कारण यहां BJP, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के साथ ही अन्य क्षेत्रीय सियासी अपने-अपने मेगा प्लान पर तेजी से काम कर रहे हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि बीजेपी से उसकी बड़ा वोटर जात इन दिनों उससे नाराज है. ऐसे में पार्टी ने प्रदेश की हर सीट के लिए अगल प्लान तैयार किया है. अब आखिरी दौर में उसी पर काम हो रहा है. आइये जानें आखिरी भारतीय जनता पार्टी की क्या रणनीति है?
बता दें हरियाणा में विधानसभा चुनावों का ऐलान जम्मू-कश्मीर के साथ ही किया गया था. पहले 1 अक्टूबर को मतदान होना था. बाद में चुनाव आयोग ने वोटिंग की तारीख को बदलकर 5 अक्टूबर कर दिया. इन चुनावों में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पाटी के साथ JJB और कुछ अन्य सियासी दल मैदान में हैं.
हरियाणा में 10 साल की एंटी इनकंबेंसी के बाद, भारतीय जनता पार्टी (BJP) तीसरी बार सत्ता की दौड़ में है. इस बार रास्ता आसान नहीं दिख रहा है. एक ओर जाटों की नाराजगी है तो दूसरी ओर कांग्रेस ने दलित वोटों में सेंधमारी की है. भाजपा, जो 2014 से अब तक हरियाणा में जीतती आई है. हालांकि, इस बार कड़ी चुनौती का सामना कर रही है.
भाजपा के लिए मुख्य चुनौती जाटों और दलितों की नाराजगी है. किसान आंदोलन, अग्निपथ योजना और पहलवानों के आंदोलन ने जाट समुदाय को भाजपा से काफी हद तक दूर कर दिया है. जाट अब भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन में एकजुट हो रहे हैं. सियासी जानकारों का मानना है कि आईएनएलडी और जेजेपी को वोट देने से विपक्षी वोटों में विभाजन हो जाएगा. इस कारण लोग कांग्रेस को समर्थन देना बेहतर समझ रहे हैं.
भाजपा ने इन चुनावों में आई चुनौती से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार की है. धर्मेंद्र प्रधान को चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है. वो इस प्लान में काम कर रहे हैं कि अब जाटों के बजाय गैर-जाट ओबीसी समुदायों पर ध्यान केंद्रित किया जाए. पार्टी का नया टारगेट यादव, गुर्जर, सैनी, पाल, नाई, कुम्हार, खाती और कश्यप समुदाय हैं. इसके साथ ही ब्राह्मण, बनिया और पंजाबियों से भाजपा का समर्थन की उम्मीद है.
हरियाणा में भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान खुद ओबीसी समुदाय से आते हैं. वो लगातार प्रदेश में OBC के लिए काम का प्रचार कर रहे हैं. इसके साथ ही पार्टी ने जाटों की टिकट कम कर कांग्रेस की तुलना में OBC को ज्यादा टिकट दिए हैं. उनका मानना है कि इस रणनीति से उनको यमुनानगर, अंबाला, पंचकूला, कुरुक्षेत्र, पानीपत, और करनाल में अच्छी बढ़त मिलेगी. इसके साथ ही अहीरवाल क्षेत्र और फरीदाबाद में उनके खाते में अच्छे वोट आ सकते हैं.
हरियाणा में भाजपा ने जाट समुदाय को 15 टिकट दिए हैं. जबकि, पिछले चुनाव में 19 टिकट दिए गए थे. वहीं कांग्रेस ने इस बार जाटों को 28 टिकट दिए हैं. सीटों की बात करें तो हरियाणा में 37 विधानसभा सीटों पर जाट समुदाय परिणाम तय करता है. वहीं वहीं OBC की बात करें तो इन की राज्य में कुल आबादी का 40% है. इसी कारण भाजपा ने 7 यादव और 6 गुर्जर समुदाय के प्रत्याशी उतारे हैं. इसके अलावा अन्य सीटों पर भी गैर जाट का प्राथमिकता दी गई है.