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शैलजा का अपमान, सियासी गुनाहों का पाप, हरियाणा में कैसे होगी कांग्रेस की नैया पार?

Haryana Assembly Election: कांग्रेस नेता राहुल गांधी के विजय संकल्प यात्रा का आज तीसरा दिन है. इन बीते दिनों में कांग्रेस सांसद की यह यात्रा अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से होकर गुजरी है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस यात्रा का मकसद साफ है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की स्थिति को मजबूत करना है. वहीं हरियाणा में कांग्रेस के पास चुनाव अभियान के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं रह गई है

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Rahul Gandhi
Courtesy: Social Media

 Haryana Assembly Election: चुनावी माहौल के बीच नेताओं का रैलियां और जनसभाओं को संबोधित करना आम बात है लेकिन किसी राज्य के विधानसभा चुनाव के प्रचार के अंतिम दिनों में यात्रा करना पार्टी की स्थिति को दर्शाता है. दरअसल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 30 सितंबर से लेकर 3 अक्टूबर तक हरियाणा विजय संकल्प यात्रा की शुरुआत की. इन बीते दिनों में कांग्रेस सांसद की यह यात्रा अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों से होकर गुजरी है और अभी इस यात्रा के दो दिन शेष हैं.

इस यात्रा का मकसद साफ है कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की स्थिति को मजबूत करना लेकिन यात्रा को लेकर जो प्रचार किया जा रहा है और इसकी जमीनी सच्चाई में जमीन-आसमान का फर्क नजर आ रहा है.

विजय संकल्प यात्रा का हरियाणा के मतदाताओं पर कितना पड़ेगा प्रभाव

ऐसा लग रहा है कि हरियाणा में कांग्रेस के पास चुनाव अभियान के लिए कोई ठोस रणनीति नहीं रह गई है. पार्टी मतदाताओं से क्या कहे, उसकी यह दुविधा दो-दो बार चुनावी घोषणा पत्र जारी करने की मजबूरी से ही जाहिर हो चुकी है. पहले कांग्रेस ने दिल्ली से एक घोषणापत्र जारी की और फिर जब कांग्रेसी रणनीतिकारों को यह महसूस होने लगा कि बीजेपी का घोषणापत्र तो वोटरों को अभी से अपनी ओर खींच रहा है और वोटर भी उसमें काफी दिलचस्पी ले रहे हैं. तो मजबूरन दूसरा घोषणापत्र चंडीगढ़ से जारी करना पड़ गया.

घोषणापत्र में उलझी कांग्रेस

जिस तरह से कांग्रेस घोषणापत्र को लेकर उलझी, उसी तरह से यही  लगता है कि राहुल गांधी की यात्रा का मकसद भी वह नहीं है जो सामने से दिखाने की कोशिश हो रही है. क्योंकि ऐसा लगता है कि अमेरिका में राहुल गांधी के आरक्षण खत्म करने को लेकर दिए गए बयान और दलित नेता कुमारी शैलजा को हाशिए पर धकेले जाने को लेकर पार्टी में हाय तौबा है और पार्टी को लगता है कि संकल्प यात्रा निकालकर वो वोटरों की नजरों में अपने सियासी गुनाहों का पाप धो सकती है.

दरअसल अमेरिका दौरे के दौरान राहुल गांधी के बयानों से इतने सारे विवाद खड़े हो गए कि पार्टी को कई मुश्किलों से गुजरना पड़ रहा है.सूत्रों के मुताबिक हरियाणा में कांग्रेस की सबसे बड़ी दलित नेता को पहले तो अपमानित किया गया और जब वह प्रचार अभियान से गायब हो गई तब कांग्रेसियों का माथा ठनका शुरू हुआ तो सब जाग गए. इसलिए पार्टी संकल्प यात्रा के जरिए इस वास्तविकता से ध्यान हटाने के लिए लोगों की आंखों में धूल झोंकने की अपनी कोशिशों से बाज नहीं आ रही है.