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India Daily

JNU student Case: कोर्ट ने बंद किया JNU छात्र नजीब अहमद का केस, 9 साल बाद भी मां को नहीं मिला बेटे का सुराग

दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में CBI को केस बंद करने की अनुमति दे दी है. नजीब 15 अक्टूबर 2016 को जेएनयू से रहस्यमयी परिस्थितियों में गायब हो गया था. CBI ने कई वर्षों की जांच के बाद कोई ठोस सुराग न मिलने पर क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.

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Edited By: Babli Rautela
Najeeb Ahmad
Courtesy: Social Media

दिल्ली की एक अदालत ने जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) के छात्र नजीब अहमद के लापता होने के मामले में बड़ी टिप्पणी करते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को केस बंद करने की अनुमति दे दी है. यह मामला वर्ष 2016 से लगातार सुर्खियों में बना हुआ था, जब नजीब अहमद अचानक लापता हो गया था. अब करीब आठ वर्षों बाद अदालत ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए मामले को बंद करने की मंजूरी दी है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नजीब अहमद माही-मांडवी हॉस्टल से अचानक गायब हो गया था. बताया जाता है कि उसके गायब होने से एक दिन पहले उसका कुछ छात्रों के साथ झगड़ा हुआ था. जिसके बाद उसका कोई सुराग नहीं मिल पा रहा था. जिसके बाद उसके परिजन और छात्रों में बेहद आक्रोश था. इस घटना के बाद देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे और छात्र संगठनों व नजीब के परिवार ने न्याय की मांग करते हुए कई बार आंदोलन किया. 

सीबीआई जांच में नहीं मिला कोई ठोस सुराग

मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस से जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी. हालांकि, सीबीआई ने अपनी विस्तृत जांच के बावजूद कोई ठोस सुराग नहीं ढूंढ़ पाया और अंततः एजेंसी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी. इस रिपोर्ट में सीबीआई ने कहा कि उन्हें नजीब के लापता होने के पीछे कोई साजिश या आपराधिक एंगल नहीं मिला.

परिजन और छात्र संगठनों ने जताई निराशा 

सोमवार को सुनवाई करते हुए दिल्ली की अदालत ने सीबीआई की इस क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और मामले को बंद करने की अनुमति दे दी. अदालत के इस फैसले के बाद नजीब के परिजन और कई छात्र संगठनों ने निराशा जताई है और साथ ही जांच एजेंसियों पर आरोप लगाया. नजीब की मां ने पहले भी बार-बार यह आरोप लगाया था कि जांच एजेंसियां मामले को गंभीरता से नहीं ले रही हैं. 

इस फैसले से एक बार फिर बहस छिड़ गई है कि क्या आठ सालों में देश की प्रमुख जांच एजेंसी एक छात्र के लापता होने की गुत्थी नहीं सुलझा सकी? नजीब अहमद का मामला अब भी लोगों के मन में बिना जवाब का सवाल छोड़ गया है.