नई दिल्ली: एयर पॉल्यूशन भारत की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बना हुआ है, लेकिन केंद्र ने अब एक जरूरी बात साफ कर दी है कि अलग-अलग ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी ग्लोबल एयर क्वालिटी रैंकिंग को भारत से कोई ऑफिशियल मंजूरी नहीं मिली है. चल रहे पार्लियामेंट सेशन के दौरान, सरकार ने कहा कि देश अपने स्टैंडर्ड्स को फॉलो करता है और इंटरनेशनल रैंकिंग को जरूरी बेंचमार्क नहीं मानता है.
राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए, केंद्र ने बताया कि IQAir, WHO, एनवायर्नमेंटल परफॉर्मेंस इंडेक्स (EPI) या ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज रिपोर्ट की स्टडीज और रैंकिंग दुनिया का ध्यान खींच सकती हैं, लेकिन उन्हें भारत द्वारा ऑफिशियली मान्यता नहीं दी गई है. एनवायर्नमेंट स्टेट मिनिस्टर कीर्ति वर्धन सिंह के अनुसार, WHO की एयर क्वालिटी गाइडलाइंस सिर्फ एडवाइजरी हैं, जिनका मकसद देशों को ज्योग्राफी, क्लाइमेट और लोकल जरूरतों के आधार पर अपने पॉल्यूशन स्टैंडर्ड्स बनाने में गाइड करना है.
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने नागरिकों और एनवायर्नमेंट की सुरक्षा के लिए 12 मुख्य पॉल्यूटेंट्स के लिए पहले ही अपने नेशनल एम्बिएंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (NAAQS) बना लिए हैं. मंत्री ने जोर देकर कहा कि ये स्टैंडर्ड खास तौर पर भारतीय हालात के लिए बनाए गए हैं और इनकी तुलना सीधे ग्लोबल लिमिट से नहीं की जा सकती.
सरकार ने यह भी बताया कि कोई भी ग्लोबल संस्था ऑफिशियल एयर पॉल्यूशन रैंकिंग नहीं करती, भले ही कई इंटरनेशनल एजेंसियां अपनी लिस्ट जारी करती हैं. इसके बजाय, भारत अपना खुद का इवैल्यूएशन सिस्टम स्वच्छ वायु सर्वे इस्तेमाल करता है, जो हर साल नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम (NCAP) के तहत किया जाता है. यह सिस्टम 130 शहरों को इस आधार पर रैंक करता है कि उनकी AQI में कितना सुधार हुआ है.
यह सफाई IQAir एक स्विस-बेस्ड एयर मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट के कुछ महीने बाद आई है कि भारत 2024 के लिए WHO एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड को पूरा करने में फेल रहा और दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में पांचवें नंबर पर रहा. रिपोर्ट से पता चला कि दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 भारत में थे, जिसमें असम का बर्नीहाट टॉप पर और दिल्ली को दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी बताया गया.
खासकर दिल्ली में महीनों से दम घोंटने वाले प्रदूषण का लेवल बना हुआ है. इसका एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बार-बार खतरनाक कैटेगरी में चला गया है, जिससे पब्लिक हेल्थ, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की दिक्कतों वाले लोगों के लिए चिंता बढ़ गई है. जबकि ग्लोबल रैंकिंग एक गंभीर तस्वीर दिखाती है, केंद्र का कहना है कि भारत की अपनी प्रदूषण कंट्रोल पॉलिसी और स्टैंडर्ड ही असल में देश भर में कार्रवाई को गाइड करते हैं.