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दिल्ली में क्लाउड सीडिंग से शहर में प्रदूषण हुआ कम? जानिए आज कैसी है एयर क्वालिटी

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग के बावजूद प्रदूषण में कमी नहीं आई. नमी की कमी और मौसम की प्रतिकूलता से प्रयास बेअसर रहे, एक्यूआई ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज हुआ.

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Edited By: Reepu Kumari
AQI in Delhi after cloud seeding (India Daily)
Courtesy: Pinterest

नई दिल्ली: दिल्ली में 53 साल बाद क्लाउड सीडिंग का प्रयोग किया गया. सरकार ने इसे प्रदूषण कम करने की एक नई वैज्ञानिक कोशिश बताया. आईआईटी कानपुर और दिल्ली सरकार ने मिलकर बुराड़ी, करोल बाग और मयूर विहार सहित कई इलाकों में विमान से सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड छोड़े. इसका उद्देश्य कृत्रिम वर्षा कर वायु गुणवत्ता में सुधार करना था. लेकिन मौसम की प्रतिकूल स्थिति और नमी की कमी के कारण बारिश नहीं हुई और प्रदूषण स्तर में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं दिखा.

बुधवार सुबह दिल्ली का औसत AQI 306 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है. मौसम विभाग के अनुसार, आर्द्रता का स्तर केवल 10-15 प्रतिशत था, जबकि प्रभावी क्लाउड सीडिंग के लिए कम से कम 50% नमी आवश्यक होती है. परिणामस्वरूप शहर और एनसीआर में धुंध की मोटी परत बनी रही. विशेषज्ञों का कहना है कि कम नमी और कमजोर बादलों ने वैज्ञानिक प्रयासों को सीमित कर दिया.

दिल्ली क्लाउड सीडिंग: क्या इससे प्रदूषण कम हुआ?

दिल्ली में 53 साल के अंतराल के बाद, मंगलवार को बिगड़ते प्रदूषण स्तर के बीच कृत्रिम बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग परीक्षण किए गए, हालाँकि मौसम विभाग ने शहर में कोई मापनीय वर्षा नहीं होने की सूचना दी है. पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि दिल्ली सरकार ने आईआईटी-कानपुर के सहयोग से बुराड़ी, उत्तरी करोल बाग, मयूर विहार और बादली सहित कई इलाकों में ये परीक्षण किए हैं और आने वाले दिनों में और भी परीक्षण करने की योजना है.

बाद में शाम को जारी एक रिपोर्ट में सरकार ने कहा कि क्लाउड सीडिंग परीक्षणों के कारण परीक्षण स्थलों पर कणीय पदार्थों में कमी आई, भले ही मौसम की स्थिति आदर्श नहीं थी. रिपोर्ट के अनुसार, दो बार हल्की बारिश हुई, नोएडा में शाम 4 बजे (0.1 मिमी बारिश) और ग्रेटर नोएडा में शाम 4 बजे (0.2 मिमी).

क्लाउड सीडिंग से पहले और अब 

रिपोर्ट में दावा किया गया है, 'क्लाउड सीडिंग से पहले, मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में पीएम 2.5 का स्तर क्रमशः 221, 230 और 229 था, जो सीडिंग के पहले दौर के बाद घटकर 207, 206 और 203 हो गया. इसी तरह, पीएम 10 का स्तर मयूर विहार, करोल बाग और बुराड़ी में क्रमशः 207, 206 और 209 से घटकर 177, 163 और 177 हो गया.'

सरकार ने आगे बताया कि भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) और अन्य एजेंसियों द्वारा अनुमानित नमी की मात्रा 10-15 प्रतिशत के निचले स्तर पर बनी हुई है, जिसे क्लाउड सीडिंग के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है. हालाँकि, आईएमडी के आंकड़ों से पता चला है कि देर शाम तक दिल्ली में कोई बारिश दर्ज नहीं की गई.

दिल्ली में क्लाउड सीडिंग कैसे की गई?

पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने अभ्यास के संचालन के बारे में बताते हुए कहा कि सेसना विमान ने कानपुर से उड़ान भरी और आधे घंटे के परीक्षण के दौरान आठ अग्नि फ्लेयर्स छोड़े, जिनमें से प्रत्येक का वजन 2 से 2.5 किलोग्राम के बीच था.

उन्होंने बताया कि हर लपट लगभग दो से ढाई मिनट तक जलती रही. सिरसा ने बताया, 'बादलों में नमी का स्तर 15 से 20 प्रतिशत था. लपटें लगभग 17 से 18 मिनट तक जलती रहीं.'

अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान विमान ने कृत्रिम वर्षा शुरू करने के लिए सिल्वर आयोडाइड और सोडियम क्लोराइड यौगिक छोड़े. दूसरा परीक्षण भी दिन में बाद में बाहरी दिल्ली में किया गया और बादली जैसे इलाकों को कवर किया गया. अभ्यास के दौरान आठ फ्लेयर्स दागे गए.

सिरसा ने कहा कि अगले कुछ दिनों में ऐसे नौ से 10 परीक्षणों की योजना बनाई गई है. उन्होंने कहा कि चूंकि आईएमडी ने सूचित किया है कि हवा की दिशा उत्तर की ओर है, इसलिए उस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को लक्षित किया जा रहा है.