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India Daily

मृत्यु के बाद भी करेंगे देश की सेवा, आर्मी चीफ उपेन्द्र द्विवेदी और उनकी पत्नी ने लिया अंगदान का संकल्प कर पेश की मिसाल

भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी ने मृत्यु के बाद अंगदान का संकल्प लिया है. उन्होंने देशवासियों से खासकर युवाओं और सैनिकों से अपील की कि वे भी आगे आएं और अंगदान को राष्ट्रीय आंदोलन में बदलें.

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Edited By: Kuldeep Sharma
Army Chief, Upendra Dwivedi
Courtesy: web

नई दिल्ली से एक प्रेरणादायी पहल सामने आई है. भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी और उनकी पत्नी सुनीता द्विवेदी ने घोषणा की है कि वे मृत्यु के बाद अपने अंग दान करेंगे. इस अवसर पर उन्होंने पूरे देश से, विशेष रूप से युवाओं और रक्षा बलों के जवानों से, अंगदान की शपथ लेने की अपील की. उनका कहना है कि यह कदम न सिर्फ जीवन बचाने का माध्यम है बल्कि राष्ट्र सेवा की भावना को भी मजबूत करता है.

जनरल द्विवेदी ने बताया कि राष्ट्रीय अंगदान एवं आवंटन कार्यक्रम में बदलाव किए गए हैं, जिसके तहत अब महिला मरीजों और अंगदाता परिवारों को प्राथमिकता दी जाएगी. उनके अनुसार यह बदलाव भागीदारी को बढ़ावा देगा और अधिक लोगों को अंगदान की ओर प्रेरित करेगा. उन्होंने कहा कि यह 'महान पहल' है और हर नागरिक को इसमें हिस्सा लेना चाहिए.

भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर

सेना प्रमुख ने जानकारी दी कि भारत में हर साल लगभग 20,000 अंग प्रत्यारोपण किए जाते हैं. इस मामले में भारत का स्थान अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है. उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय सेना केवल सीमाओं की रक्षा करने तक सीमित नहीं है बल्कि समाज की सेवा करना भी उनकी जिम्मेदारी है. अंगदान इसी जिम्मेदारी का विस्तार है जो कई लोगों को नया जीवन दे सकता है.

वर्दी से परे मानवता की सेवा

जनरल द्विवेदी ने कहा कि सैनिक सिर्फ ड्यूटी के दौरान ही नहीं बल्कि पूरी जिंदगी राष्ट्र और मानवता की सेवा में समर्पित रहते हैं. उन्होंने कहा कि 'सच्चा सैनिक वह है जो मृत्यु के बाद भी देश की सेवा करता है' यह पहल न सिर्फ सैनिकों बल्कि पूरे समाज के लिए संदेश है कि अंगदान से भी राष्ट्रसेवा की जा सकती है.

अंगदान कैसे किया जा सकता है?

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की ऑर्गन रिट्रीवल बैंकिंग ऑर्गेनाइजेशन (ORBO) के अनुसार कोई भी व्यक्ति जीवित रहते हुए फॉर्म भरकर अंगदान की शपथ ले सकता है. इसके लिए दो गवाहों, जिनमें से एक परिवार का सदस्य होना चाहिए, की मौजूदगी में फॉर्म भरना होता है. इच्छुक व्यक्ति ORBO की वेबसाइट (orbo.org) से फॉर्म डाउनलोड कर सकता है. इसके बाद संस्था दाता को पंजीकरण संख्या और ऑर्गन डोनर कार्ड जारी करती है. वहीं, अगर व्यक्ति ने जीवन में प्रतिज्ञा नहीं ली है तो उसकी मृत्यु के बाद परिवार की सहमति से भी अंगदान संभव है.