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हाईकोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला, पति को सुसाइड की धमकी देना मानसिक क्रूरता; जानें पूरा मामला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा है कि पत्नी द्वारा बार-बार आत्महत्या की धमकी देना पति के प्रति मानसिक क्रूरता है. कोर्ट ने यह भी कहा कि खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश और धर्म बदलने का दबाव डालना भी क्रूरता में आता है.

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Edited By: Princy Sharma
High Court India Daily
Courtesy: Pinterest

छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि पत्नी का बार-बार सुसाइड की धमकी देना अपने पति के प्रति मेंटल क्रूरता है. जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की बेंच ने साफ किया कि खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करना और पति पर लगातार धर्म बदलने का दबाव डालना भी मेंटल क्रूरता की कानूनी परिभाषा में आता है.

यह मामला बालोद जिले के एक आदमी की तलाक की अर्जी से शुरू हुआ, जिसे फैमिली कोर्ट ने जून 2024 में मंजूर कर लिया था. पत्नी ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. बेंच ने इस बात पर जोर दिया कि क्रूरता सिर्फ फिजिकल कामों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें ऐसा व्यवहार भी शामिल है जिससे पति-पत्नी में डर और मेंटल परेशानी पैदा हो. 

पति ने मामले को लेकर क्या कहा?

कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक, पति ने 14 अक्टूबर, 2019 को गुरु पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया था कि उसकी पत्नी बार-बार खुद को जहर देने, चाकू मारने या केरोसिन डालकर आग लगाने की धमकी देती थी. पति ने बताया कि इन धमकियों की वजह से वह लगातार डर में जी रहा था. इस कपल ने मई 2018 में शादी की थी.

कोर्ट ने क्या कहा?

क्रॉस-एग्जामिनेशन के दौरान, पति ने माना कि उसने अपनी पत्नी को उसके मायके भेज दिया था क्योंकि उसे डर था कि वह खुद को नुकसान पहुंचा सकती है. कोर्ट ने कहा, 'पत्नी की बार-बार सुसाइड की कोशिशों और धमकियों से पति के लिए लगातार मेंटल हैरेसमेंट की स्थिति बन गई' यह देखते हुए कि ऐसा व्यवहार कानूनी तौर पर क्रूरता माना जाता है.

इसके अलावा, कोर्ट ने एक कम्युनिटी रिप्रेजेंटेटिव की गवाही का जिक्र किया जिसने कहा कि पत्नी और उसके परिवार ने पति पर इस्लाम अपनाने का दबाव डाला, हालांकि पत्नी ने इस आरोप से इनकार किया. कपल नवंबर 2019 से अलग रह रहा था, और पति और गांव के बुजुर्गों की कोशिशों के बावजूद, वह वापस नहीं आई.

पत्नी ने पति पर लगाया आरोप

पत्नी ने दावा किया कि वह हमेशा साथ रहना चाहती थी और आरोप लगाया कि पति ने तलाक तभी मांगा जब उसने सेक्शन 125 CrPC और डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट के तहत केस फाइल किया. हालांकि, कोर्ट ने यह नतीजा निकाला कि पत्नी ने बिना किसी सही वजह के अपने पति को छोड़ दिया था. हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि फैमिली कोर्ट के पिछले ऑर्डर के मुताबिक, पत्नी को अपने और अपने नाबालिग बेटे के लिए हर महीने ₹2,000 का मेंटेनेंस मिलता है.