छत्तीसगढ़ विधानसभा का मानसून सत्र मंगलवार को तब गर्मा गया, जब जल जीवन मिशन को लेकर सत्ता और विपक्ष आमने-सामने आ गए. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में मिशन की धीमी रफ्तार पर सवाल उठाए, तो उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने पलटवार करते हुए पिछली कांग्रेस सरकार पर आंकड़े गढ़ने का आरोप लगाया. दोनों नेताओं के बीच तीखी बहस देखने को मिली.
डिप्टी सीएम अरुण साव ने सदन में कहा कि दिसंबर 2023 तक केंद्र सरकार के पोर्टल पर यह दर्शाया गया कि राज्य में 36 लाख घरों तक जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन पहुंच चुके हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और थी. उन्होंने दावा किया कि वास्तव में केवल 21 लाख घरों तक ही पानी की आपूर्ति हो पाई थी. इस तरह करीब 15 लाख घरों के आंकड़े फर्जी तरीके से दर्ज किए गए थे. साव ने यह भी कहा कि यह जानबूझकर किया गया ताकि केंद्र से अधिक फंड मिल सके.
पूर्व मुख्यमंत्री और पाटन से विधायक भूपेश बघेल ने बीजेपी सरकार पर जवाबी हमला करते हुए कहा कि मौजूदा सरकार खुद अपने लक्ष्यों को पूरा करने में नाकाम रही है. उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार जल जीवन मिशन के तहत 49.98 लाख घरों तक जल पहुंचाने का लक्ष्य लेकर आई थी, लेकिन अब तक वह लक्ष्य पूरा नहीं हुआ है. बघेल ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार के आने के बाद बजट में भारी कटौती हुई है. 2022-23 और 2023-24 में कांग्रेस सरकार ने क्रमश: 4,200 करोड़ और 5,374 करोड़ रुपये जल जीवन मिशन के लिए आवंटित किए थे, जबकि वर्तमान सरकार ने इसे घटाकर मात्र 3,500 करोड़ कर दिया.
दोनों नेताओं की बहस ने विधानसभा में माहौल को गर्म कर दिया. जहां बीजेपी ने पिछली सरकार को आंकड़ों की हेराफेरी का दोषी ठहराया, वहीं कांग्रेस ने मौजूदा सरकार पर वादों को पूरा न कर पाने का आरोप लगाया. बहस के दौरान कई बार स्थिति तनावपूर्ण हो गई और अन्य विधायक भी इसमें कूद पड़े. इस पूरे घटनाक्रम ने जल जीवन मिशन को लेकर सरकार की जवाबदेही और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.