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Chhattisgarh Naxal News: बस्तर में नक्सलियों की हार! सरकार का बड़ा फैसला, LWE से बाहर निकाल दिया ये जिला

Chhattisgarh Naxal News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान सफल हो रहा है, बस्तर में एक और जिला नक्सलवाद से मुक्ति की ओर बढ़ रहा है. लगातार कार्रवाई से नक्सलियों के खिलाफ जीत मिल रही है और क्षेत्र में शांति स्थापित हो रही है.

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Edited By: Anvi Shukla
Chhattisgarh Naxal News
Courtesy: social media

Chhattisgarh Naxal News: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के खिलाफ जारी अभियान अब धीरे-धीरे असर कर रहा है. बस्तर संभाग का एक और जिला अब ‘लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म’ (LWE) यानी वामपंथी उग्रवाद की सूची से बाहर कर दिया गया है. इस फैसले की पुष्टि खुद बस्तर कलेक्टर हरीश एस ने की है. उन्होंने बताया कि बस्तर जिले को अब एलडब्ल्यूई जिलों की सूची से हटाकर 'लेगसी डिस्ट्रिक्ट' की सूची में डाल दिया गया है.

बस्तर कलेक्टर के अनुसार, जिले को एलडब्ल्यूई सूची से हटाए जाने के बाद अब केंद्र सरकार की ओर से 2025 से मिलने वाली विशेष ग्रांट भी बंद कर दी गई है. मार्च 2025 तक इस फंड का लाभ जिले को मिला, लेकिन अब अप्रैल 2025 से यह बंद कर दिया गया है. इसका उद्देश्य है कि अब इस क्षेत्र में सीधे तौर पर विकास कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी, ताकि जनता को बेहतर सुविधाएं मिल सकें और नक्सलवाद की बची-कुची जड़ें भी समाप्त की जा सकें.

LWE सूची में 5 जिले

बस्तर संभाग में कुल 7 जिले हैं — बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर. एक समय था जब सभी जिले नक्सल प्रभावित थे, लेकिन अब इनमें से केवल 5 जिले ही LWE सूची में रह गए हैं. बस्तर और कांकेर को अब नक्सल मुक्त माना जा रहा है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के अन्य जिले राजनांदगांव, कवर्धा, और खैरागढ़-छुईखदान-गंडई को भी पहले ही एलडब्ल्यूई सूची से बाहर किया जा चुका है.

तेजी से बढ़ रहे सुरक्षा और विकास के कदम

लोहंडीगुड़ा, मारडूम, ककनार, माचकोट, तिरिया, दरभा, कोलेंग, और तुलसीडोंगरी जैसे क्षेत्रों में अब कैंप स्थापित किए जा चुके हैं. दरभा की झीरम घाटी में दो नए कैंप, जबकि मारडूम में थाना भी खोला गया है. इससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि अब बस्तर तेजी से शांति और विकास की ओर बढ़ रहा है.

क्या है LWE?

एलडब्ल्यूई यानी ‘लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिज्म’ एक उग्रवादी विचारधारा है, जो माओवादी या वामपंथी हिंसक आंदोलनों से जुड़ी होती है. सरकार के खिलाफ हथियार उठाने वाले इन गुटों से प्रभावित जिलों को LWE सूची में डाला जाता है. इन क्षेत्रों को सुरक्षा और विकास के लिए विशेष फंड, योजनाएं और संसाधन प्रदान किए जाते हैं.

LWE से बाहर आना क्यों है खास?

किसी जिले का LWE सूची से बाहर आना एक सकारात्मक संकेत होता है. इसका अर्थ है कि वहां नक्सली घटनाएं घट चुकी हैं, लोग मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं और शासन-प्रशासन की पकड़ मजबूत हो रही है. यह बदलाव जनता के भरोसे और सुरक्षा बलों के समर्पण का परिणाम है.