पटना में महागठबंधन की महत्वपूर्ण बैठक में तेजस्वी यादव को सर्वसम्मति से विधायक दल के नेता के रूप में चुना गया. सभी दलों ने माना कि विपक्ष की भूमिका इस बार अधिक चुनौतीपूर्ण होगी, इसलिए एकता और आक्रामकता ही आगे की रणनीति का आधार रहेंगी.
कांग्रेस और वाम दलों ने तेजस्वी के नेतृत्व में विधानसभा में मजबूती से जन-हित के मुद्दों को उठाने का भरोसा दिया. बैठक में चुनाव परिणामों की समीक्षा और भविष्य के लिए नई कार्ययोजना भी तय की गई.
महागठबंधन के सभी पांच घटक दल तेजस्वी यादव के नाम पर एकमत दिखे. राजद, कांग्रेस, वाम दलों और आइआइपी के प्रतिनिधियों ने कहा कि तेजस्वी ही वह चेहरा हैं, जो विपक्ष को संगठित बनाए रखते हुए सदन में प्रभावी ढंग से आवाज उठा सकते हैं. उनके नेतृत्व को जनता के बीच भी मजबूत समर्थन मिलता रहा है.
बैठक में तय हुआ कि विधानसभा सत्र में महागठबंधन आक्रामक रुख अपनाएगा. महंगाई, बेरोजगारी, महिलाओं की सुरक्षा, किसानों की समस्याओं और शासन व्यवस्था में बढ़ती अनियमितताओं को लेकर सरकार को घेरा जाएगा. विपक्ष की संख्या भले कम हो, लेकिन मुद्दों पर एकजुट होकर लड़ने की सहमति बनी.
कांग्रेस के विधान पार्षद समीर सिंह ने बैठक में कहा कि गठबंधन की एकता बनाए रखना सबसे बड़ी प्राथमिकता है. वाम दलों ने भी भरोसा दिलाया कि हर जन-हित के मुद्दे पर महागठबंधन एक टीम की तरह काम करेगा. चुनावी हार पर चर्चा के दौरान यह भी कहा गया कि अब पीछे देखने के बजाय आगे की लड़ाई पर ध्यान देना होगा.
बैठक में नेताओं ने माना कि चुनाव परिणाम उम्मीदों के विपरीत रहे. कई सर्वे में तेजस्वी जनता की पहली पसंद बताए जा रहे थे, इसलिए हार को कई नेताओं ने 'सुनियोजित' बताया. इसके बावजूद सभी दलों ने कहा कि विपक्ष की भूमिका को मजबूती से निभाया जाएगा और जनता के मुद्दों से किसी तरह का समझौता नहीं होगा.
वर्तमान विधानसभा में महागठबंधन के कुल 35 विधायक हैं. इनमें राजद के 25, कांग्रेस के छह, भाकपा-माले के दो तथा माकपा और आइआइपी के एक-एक विधायक शामिल हैं. वीआइपी इस बार एक भी सीट नहीं जीत सकी, जबकि चुनाव से पहले उसे उपमुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया गया था. अब महागठबंधन शेष दलों के साथ मिलकर विपक्षी भूमिका निभाएगा.