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India Daily

उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLM में दो फाड़, बेटे को मंत्री बनाने से नाराज कई नेताओं ने छोड़ी पार्टी

नीतीश कैबिनेट में उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने के बाद RLM में असंतोष भड़क उठा. राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के कई नेताओं ने इस्तीफा देकर फैसले को परिवारवाद बताया और सीट बंटवारे से लेकर संगठनात्मक निर्णयों पर आपत्ति जताई.

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Edited By: Kanhaiya Kumar Jha
Upendra Kushwaha & Deepak Prakash
Courtesy: Social Media

पटना: बिहार की राजनीति एक बार फिर उथल-पुथल में है. राज्यसभा सांसद और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने के बाद पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ गया है. बुधवार को RLM के कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिससे संगठन में बड़े संकट के संकेत दिखने लगे हैं.

पार्टी नेताओं ने दिया सामूहिक इस्तीफा

पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जितेंद्र नाथ, प्रदेश प्रवक्ता राहुल कुमार, प्रदेश महासचिव प्रमोद यादव समेत कई पदाधिकारियों ने कुशवाहा को भेजे पत्र में लिखा कि हाल के दिनों में पार्टी द्वारा लिए गए कई निर्णयों से वे सहमत नहीं हैं. नेताओं ने कहा कि मौजूदा स्थिति में पार्टी में बने रहना मुश्किल है, इसलिए पद और सदस्यता दोनों से इस्तीफा देना ही उनका अंतिम निर्णय है.

जितेंद्र नाथ ने फैसलों पर उठाए सवाल

नौ वर्षों से उपेंद्र कुशवाहा के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे नेता जितेंद्र नाथ ने अपने पत्र में लिखा कि वह पार्टी की राजनीतिक दिशा और संगठनात्मक निर्णयों से खुद को अब जोड़ नहीं पा रहे. विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि कुशवाहा ने पार्टी के हितों का ध्यान नहीं रखा और कई फैसले व्यक्तिगत लाभ के आधार पर लिए गए.

मंत्री पद पर बेटे की नियुक्ति पर तीखी प्रतिक्रिया

नीतीश सरकार में कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को मंत्री बनाए जाने पर नेता खासे नाराज दिखे. जितेंद्र नाथ ने आरोप लगाया कि यह फैसला पूरी तरह से परिवार-केंद्रित राजनीति का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि कुशवाहा अपनी पत्नी, जो सासाराम से विधायक हैं, को मंत्री नहीं बनाए, इससे यह स्पष्ट है कि यह निर्णय केवल अपने बेटे को राजनीतिक रूप से स्थापित करने के उद्देश्य से लिया गया.

कुशवाहा की सफाई से भी असंतोष दूर नहीं

उपेंद्र कुशवाहा ने सोशल मीडिया पर सफाई देते हुए कहा था कि उन्होंने पिछली घटनाओं से सीख लेकर अपने बेटे को मंत्री बनाया है. उनके अनुसार पूर्व में उनकी पार्टी रालोसपा में विधायक और सांसद उनका साथ छोड़कर चले गए थे, इसलिए इस बार वह पार्टी को टूटने से बचाना चाहते हैं. लेकिन इस्तीफा देने वाले नेताओं ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि यह आत्मरक्षा का तर्क है, पार्टी को मजबूत करने का तरीका हरगिज नहीं.

बिना चुनाव जीते मंत्री बने दीपक प्रकाश

दीपक प्रकाश को बिना किसी चुनावी प्रक्रिया से गुजरे सीधे मंत्री बनाए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं. माना जा रहा है कि आगामी एमएलसी चुनाव में उन्हें विधान परिषद भेजा जाएगा. हालांकि विधानसभा चुनाव में RLM ने एनडीए के साथ रहकर 6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और 4 सीटें जीती थीं, लेकिन इनमें से किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया, जिसने असंतोष को और बढ़ा दिया है.