दरभंगा: बिहार के दरभंगा जिले से इंसाफ व्यवस्था को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. जहां अपने नौ साल के बेटे की मौत के बाद न्याय की लड़ाई लड़ रही एक मां ने आखिरकार हार मान ली. महीनों तक थाने और अधिकारियों के चक्कर काटने के बाद निराश महिला ने सल्फास खाकर अपनी जान दे दी. इस दर्दनाक घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और सिस्टम की संवेदनशीलता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
मृतक महिला की पहचान मनीषा देवी के रूप में हुई है. मनीषा ने अपने इकलौते बेटे कश्यप का दाखिला दरभंगा के लहेरियासराय स्थित एक निजी स्कूल में कक्षा दो में कराया था. कश्यप स्कूल के हॉस्टल में रह रहा था. दाखिले के महज 19 दिन बाद स्कूल परिसर में ही उसका शव खिड़की से फंदे पर लटका मिला था. उस वक्त बच्चे की उम्र करीब नौ साल बताई गई थी.
परिवार ने इस मौत को आत्महत्या मानने से इनकार करते हुए स्कूल प्रशासन पर हत्या का आरोप लगाया था. बहादुरपुर थाना पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की थी. इसके बावजूद करीब तीन महीने बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. मनीषा लगातार थाने, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के पास जाकर अपने बेटे की मौत के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की गुहार लगाती रही.
परिजनों का आरोप है कि मदद करने के बजाय पुलिस ने मनीषा को बार बार फटकार कर भगा दिया. इंसाफ की उम्मीद में भटकती मनीषा धीरे धीरे मानसिक दबाव में आ गई. एक तरफ बेटे की मौत का गम और दूसरी तरफ सिस्टम की बेरुखी ने उसे पूरी तरह तोड़ दिया. इसी तनाव के चलते मनीषा ने घर से सल्फास लेकर खा लिया.
तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे. इलाज के दौरान मनीषा ने खुद सल्फास खाने की बात स्वीकार की. इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई. दरभंगा सदर के एसडीपीओ अमित कुमार ने घटना की पुष्टि करते हुए इसे बेहद दुखद बताया है.
मनीषा के भाई शिव शंकर साह ने बताया कि उनकी बहन अपने बेटे के लिए इंसाफ न मिलने से पूरी तरह टूट चुकी थी. पुलिस की तरफ से न तो कोई जांच की गई और न ही कभी घर आकर पूछताछ हुई. आखिरी बार थाने से डांट फटकार मिलने के बाद वह बेहद रो रही थी. एक बेटे की मौत के इंसाफ की लड़ाई में न्याय