Bihar elections 2025: बिहार में इस साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि आयोग 'पिछले दरवाजे से एनआरसी लागू करने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने EC पर अपनी संवैधानिक सीमाओं से बाहर जाकर नागरिकता तय करने की कोशिश का आरोप लगाया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ओवैसी ने सोमवार को कहा, "चुनाव आयोग को यह तय करने का अधिकार किसने दिया कि कौन नागरिक है और कौन नहीं?" उन्होंने यह भी कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था होते हुए भी सीधे बयान देने के बजाय सूत्रों के माध्यम से जानकारी सार्वजनिक कर रहा है, जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है.
AIMIM अध्यक्ष ने SIR प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया सीमांचल के लोगों को निशाना बनाने की मंशा से प्रेरित है. उन्होंने 2003 में किए गए ऐसे ही विशेष पुनरीक्षण का हवाला देते हुए पूछा कि उस समय कितने विदेशी नागरिक सामने आए थे. उन्होंने कहा, " नागरिकता तय करने का अधिकार चुनाव आयोग को नहीं है, यह अधिकार गृह मंत्रालय के पास है. चुनाव आयोग ऐसा क्यों कर रहा है?"
ओवैसी ने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) से संपर्क करें और सुनिश्चित करें कि मतदाताओं का नाम उचित तरीके से सूची में दर्ज हो. चुनाव आयोग की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार में BLO द्वारा घर-घर जाकर दो चरणों में दौरे के बाद 6,60,67,208 यानी करीब 83.66% मतदाताओं के एन्युमरेशन फॉर्म (EFs) एकत्र किए गए हैं. आयोग ने कहा है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है.
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई को चुनाव आयोग को SIR प्रक्रिया जारी रखने की अनुमति दे दी. साथ ही, कोर्ट ने आयोग को आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी को मतदाता पहचान के प्रमाण के रूप में मान्यता देने की सलाह दी है. बिहार में आगामी चुनावों में NDA और INDIA गठबंधन आमने-सामने होंगे, और SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक गर्मी बढ़ती जा रही है. ओवैसी के आरोपों ने इस बहस को और गहरा कर दिया है.