पटना में शनिवार को कांग्रेस के स्टेट रिसर्च सेल प्रमुख आनंद माधव के नेतृत्व में कई नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पार्टी नेतृत्व पर गंभीर आरोप लगाए. उनका कहना था कि बिहार कांग्रेस ने टिकट बंटवारे में सिद्धांतों की जगह आर्थिक ताकत को प्राथमिकता दी.
माधव ने कहा, 'सालों से पार्टी के लिए मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया गया, जबकि जिनके पास पैसा है, उन्हें टिकट मिल गया.'
आनंद माधव के साथ गजनंद शाही, छत्रपति तिवारी, नागेंद्र प्रसाद विकल, रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद सिंह और बंटी चौधरी जैसे नेता मौजूद थे. इन सभी ने आरोप लगाया कि बिहार कांग्रेस अब कुछ नेताओं के 'निजी एजेंटों' के नियंत्रण में है. उनका कहना था कि सच्चे कांग्रेसियों को हाशिए पर धकेल दिया गया है और पार्टी की विचारधारा को ताक पर रख दिया गया है. नेताओं ने यह भी दावा किया कि राहुल गांधी की जमीनी कार्यकर्ताओं को मजबूत करने की सोच को बिहार में पूरी तरह अनदेखा किया गया है.
नाराज नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने हमेशा कहा कि टिकट योग्यता और जनता से जुड़ाव के आधार पर दिए जाएं, लेकिन बिहार में उलटा हो गया. कुछ नेताओं ने उनके भरोसे का फायदा उठाते हुए अपने नजदीकी लोगों को टिकट दिलाया. प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा गया कि अगर इस तरह के फैसले जारी रहे, तो पार्टी को चुनाव में नुकसान झेलना पड़ सकता है.
इस विवाद पर बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम से संपर्क करने की कोशिश नाकाम रही. हालांकि सूत्रों का कहना है कि हाईकमान ने इस विवाद को गंभीरता से लिया है और टिकट बंटवारे की प्रक्रिया की समीक्षा के संकेत दिए हैं. कांग्रेस ने गुरुवार को अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी की थी, जिसमें 48 नाम शामिल थे. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी असंतोष को शांत करने के लिए क्या कदम उठाती है. बिहार विधानसभा की 243 सीटों पर दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी.