बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राज्य में नए सियासी समीकरण बनने की संभावना बढ़ रही है. इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने एक सनसनीखेज खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि उनके पिता, स्वर्गीय राम विलास पासवान, 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ गठबंधन के सख्त खिलाफ थे. यह वही समय था जब नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय राजनीति में पहली बार केंद्र में अपनी छाप छोड़ रहे थे.
राम विलास का बीजेपी को लेकर रुख
चिराग पासवान ने जिस्ट को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “उन्होंने (राम विलास पासवान) मुझसे कहा था, ‘मैं बीजेपी के साथ जाने से पहले जहर खा लूंगा,’ और इसके बाद मैं ज्यादा कुछ कह नहीं सका.” राम विलास पासवान, जो 2020 में निधन हो गया, छह प्रधानमंत्रियों के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में काम कर चुके थे. उन्होंने पहले मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में कांग्रेस के साथ और फिर मोदी की बीजेपी-नीत एनडीए सरकार में काम किया.
कांग्रेस के साथ असफल प्रयास
चिराग ने यह भी खुलासा किया कि 2014 से पहले, जब राम विलास पासवान गठबंधन के लिए कांग्रेस से बातचीत कर रहे थे, तब राहुल गांधी से मुलाकात नहीं हो सकी. उन्होंने कहा, “हमने नवंबर 2013 से फरवरी 2014 के मध्य तक राहुल गांधी से मिलने की कोशिश की, लेकिन तीन महीने तक कोई मुलाकात नहीं हुई.”
चिराग ने आगे बताया, “इस दौरान हमने सम्मानित सोनिया गांधी जी से कई बार मुलाकात की, लेकिन वे (सोनिया/कांग्रेस) कहते रहे कि राहुल जी (तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष) से मुलाकात तय की जाएगी, लेकिन ऐसा कभी हुआ नहीं.” आखिरकार, परिस्थितियां ऐसी बनीं कि राम विलास पासवान ने बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया. यह गठबंधन 2002 के गुजरात दंगों के बाद टूट गया था, जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
चिराग की बिहार चुनाव में रणनीति
बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान बड़े दांव खेलने की तैयारी में हैं. उन्होंने ऐलान किया, “मैं सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा. हर क्षेत्र में चिराग पासवान पूरे जोश के साथ लड़ेगा.” हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि चिराग का यह बयान प्रतीकात्मक है या उनकी पार्टी वास्तव में सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. चिराग की यह महत्वाकांक्षी घोषणा तब आई है, जब वह बीजेपी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडी(यू) के साथ जूनियर पार्टनर के रूप में हैं. साक्षात्कार में उन्होंने बीजेपी और एनडीए के प्रति अपनी वफादारी को भी दोहराया.
2020 का प्रदर्शन और नीतीश पर निशाना
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग ने 130 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल एक सीट जीत पाए. फिर भी, उन्होंने दावा किया था कि उनका लक्ष्य नीतीश कुमार को नुकसान पहुंचाना था, जिसमें वह सफल रहे और बीजेपी को फायदा हुआ. उस समय बीजेपी ने चिराग से दूरी बनाए रखी थी और उनकी पार्टी में टूट के पीछे बीजेपी का हाथ माना गया, जब उनके चाचा पशुपति नाथ पारस बीजेपी के सहयोगी बन गए.
चिराग का नया दृष्टिकोण
2024 के लोकसभा चुनाव तक चिराग बीजेपी के खेमे में थे, जबकि उनके चाचा बाहर हो गए. विश्लेषकों का मानना है कि चिराग एक खास जातीय समूह के नेता के रूप में अपनी भूमिका को बखूबी निभाते हैं. हालांकि, साक्षात्कार में चिराग ने कहा कि वह चाहते हैं कि युवा केवल जाति से नहीं, बल्कि “प्रगति” से अपनी पहचान बनाएं.