Chirag Paswan Assembly Seat: केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, चिराग शाहाबाद (भोजपुर जिला) की किसी सामान्य सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. इस खबर ने बिहार के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है. शाहाबाद में चिराग के समर्थन में पोस्टर भी लगने शुरू हो गए हैं, जिससे उनकी उम्मीदवारी की चर्चा और तेज हो गई है.
शाहाबाद क्षेत्र, जिसमें भोजपुर, कैमूर, रोहतास और बक्सर जिले शामिल हैं, 22 विधानसभा सीटों वाला महत्वपूर्ण क्षेत्र है. यह कभी एनडीए का गढ़ था, लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए केवल दो सीटें जीत पाया. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी इस क्षेत्र में एनडीए को हार का सामना करना पड़ा. चिराग पासवान की इस क्षेत्र से उम्मीदवारी एनडीए के लिए नया जोश ला सकती है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेश भट्ट ने कहा, 'अगर चिराग शाहाबाद से चुनाव लड़ते हैं, तो कार्यकर्ता उन्हें प्रचंड बहुमत से जिताने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे.'
शाहाबाद में चिराग के समर्थन में पोस्टर लगाए गए हैं, जिसमें उन्हें क्षेत्र से चुनाव लड़ने का न्योता दिया गया है. इससे पहले शेखपुरा सीट से भी लोजपा (रामविलास) के नेता इमाम गजाली ने चिराग के लिए पोस्टर लगाए थे. पार्टी के जमुई सांसद अरुण भारती ने साफ किया कि कार्यकर्ता चाहते हैं कि चिराग किसी आरक्षित नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव लड़ें. यह कदम चिराग को पूरे बिहार का नेता स्थापित करने की रणनीति का हिस्सा है.
चिराग पासवान ने हाल ही में कहा था कि उनकी राजनीति का केंद्र बिहार है और उनका विजन 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' है. वे केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बिहार की राजनीति में पूरी तरह सक्रिय होने की योजना बना रहे हैं. 8 जून को भोजपुर के आरा में होने वाली ‘नव संकल्प महासभा’ में चिराग अपनी उम्मीदवारी और भविष्य की रणनीति की घोषणा कर सकते हैं. एनडीए, खासकर बीजेपी और जदयू, शाहाबाद में अपनी खोई जमीन वापस पाने के लिए चिराग की लोकप्रियता का फायदा उठाना चाहता है. पीएम मोदी ने भी बिक्रमगंज से बिहार चुनाव का शंखनाद किया था, जो इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्व को दर्शाता है.
चिराग की शाहाबाद से उम्मीदवारी न केवल एनडीए को मजबूती दे सकती है, बल्कि विपक्षी महागठबंधन, खासकर तेजस्वी यादव की आरजेडी के लिए नई चुनौती पेश कर सकती है. चिराग का युवा चेहरा और दलित-पिछड़ा वर्ग के साथ-साथ सामान्य वर्ग में बढ़ती स्वीकार्यता उनकी ताकत है. हालांकि, सीट का अंतिम फैसला पार्टी के सर्वे और एनडीए की सीट-बंटवारे की रणनीति पर निर्भर करेगा.