menu-icon
India Daily

अस्पताल बना अंधविश्वास का अड्डा! मरे हुए व्यक्ति को जिंदा करने की कोशिश, शरीर पर रगड़ने लगे आटा और बेलन

बेगूसराय में गुरुवार को एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जब एक परिवार ने अस्पताल परिसर में मृत व्यक्ति को जिंदा करने की कोशिश की. उन्होंने शव को आटा, पाउडर और बेलन से रगड़ने की पारंपरिक मान्यता के तहत ये अजीब हरकत की, जिसका वीडियो अब वायरल हो रहा है.

auth-image
Edited By: Princy Sharma
Bihar News
Courtesy: X

Bihar News: बेगूसराय में गुरुवार को एक हैरान करने वाला मामला सामने आया, जब एक व्यक्ति के परिवार ने अस्पताल परिसर में उसे जिंदा करने की कोशिश की. परिवार के सदस्य मृत व्यक्ति के शरीर को आटा, पाउडर और बेलन से रगड़ने लगे. पूरा घटनाक्रम वीडियो में कैद हो गया और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.

रिपोर्ट्स के अनुसार, मनीष कुमार नामक युवक रविवार दोपहर एक चार पहिया वाहन की मरम्मत कर रहा था, तभी उसकी हाथ ओवरहेड बिजली की तार से टकरा गया और उसे जोरदार करंट लग गया. इस हादसे में मनीष को गंभीर चोटें आईं. परिवार ने उसे तुरंत एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया, जहां से उसे बेगूसराय सदर अस्पताल रेफर किया गया. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. लेकिन परिवार ने इस बात को स्वीकार नहीं किया और डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि सही इलाज नहीं किया गया था.

पारंपरिक विश्वास के तहत किया गया अजीब कार्य

अपनी निराशा में, परिवार ने मनीष के शव को अस्पताल के बेंच पर रखकर आटा, पाउडर और बेलन से रगड़ना शुरू कर दिया. यह प्रक्रिया लगभग एक घंटे तक चली और अस्पताल परिसर में एक बड़ा भीड़ जमा हो गया, जो यह अजीब दृश्य देख रहा था.

मृत शरीर का पोस्टमॉर्टम

जब मनीष होश में नहीं आया, तो परिवार ने उसके शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. परिवार ने अस्पताल के इलाज को दोषी ठहराते हुए कहा, 'वह करंट से घायल हुआ था और डॉक्टरों ने सही इलाज नहीं किया. हम उसे अपनी तरीके से जिंदा करने की कोशिश कर रहे थे. यहां तक कि नर्स भी हमारी मदद कर रही थी, लेकिन डॉक्टर ने उसे वापस बुला लिया.'

डॉक्टरों का बयान

सिविल सर्जन अशोक कुमार ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 'यह युवक मोसदपुर गांव से करंट लगने के बाद लाया गया था. वह पहले ही मर चुका था. डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित किया. जो कुछ भी बाद में हुआ, वह परिवार के पारंपरिक विश्वासों का हिस्सा था. अस्पताल प्रशासन का इसमें कोई संबंध नहीं है.'