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रामसेतु बनाने में गिलहरी का था अमूल्य योगदान, जानें पूरी कथा

क्या आप भगवान श्रीराम की सबसे नन्ही भक्त गिलहरी के बारे में जानते हैं. गिलहरी ने रामसेतु बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया था.

Amit Mishra

रामसेतु बनाने में गिलहरी का था अमूल्य योगदान, जानें पूरी कथा

रामसेतु बनाने में गिलहरी का था अमूल्य योगदान, जानें पूरी कथा

भगवान श्रीराम की सबसे नन्ही भक्त

क्या आप भगवान श्रीराम की सबसे नन्ही भक्त गिलहरी के बारे में जानते हैं. गिलहरी ने रामसेतु बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया था.

समुद्र पर सेतु

रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था. माता सीता को वापस लाने के लिए भगवान श्रीराम को सेना सहित लंका जाना था. लंका चारों तरफ से समुद्र से घिरी थी. समुद्र को पार करके ही लंका जाया जा सकता था. तब राम सेना ने समुद्र पर सेतु बनाना शुरू किया.

तैरने लगते पत्थर

सेतु बनाने के लिए राम सेना चट्टानों के बड़े-बड़े पत्थर तोड़कर लाती और उन पर राम नाम लिखती, फिर उन पत्थरों को पानी में फेंका जाता. राम नाम लिखा होने के कारण पत्थर पानी में डूबने के बजाए तैरने लगते थे.

गिलहरी कर रही थी मदद

जब सेतु बनाने में पूरी सेना लगी हुई थी तभी सेना के एक वानर की नजर एक नन्ही गिलहरी पर गई जो अपने मुंह में छोटे-छोटे कंकड़ पत्थर और रेत लाती और उनको बनते हुए सेतु पर डाल देती.

वानर ने उड़ाया मजाक

गिलहरी को बार बार ऐसा करते देख उस एक वानर ने उसका मजाक बनाते हुए कहा, “हे नन्ही गिलहरी, यहां सेतु निर्माण का कार्य चल रहा है तुम यहां क्या कर रही हो? तुम इतनी छोटी हो कि कहीं इन बड़ी-बड़ी चट्टानों और पत्थरों के नीचे ना आ जाओ. जाओ यहां से दूर चली जाओ.”

दुखी हुई गिलहरी

वानर की बात सुनकर गिलहरी दुखी हुई और प्रभु श्रीराम के पास पहुंची. गिलहरी ने सारी बात भगवान श्रीराम को बताई. तब भगवान श्रीराम सेना के पास गए और उनसे कहा आप सभी ध्यान से देखिए जिन बड़े-बड़े पत्थरों को अपने समुद्र में डाला है उनके बीच छोटे छोटे सुराख हैं जो सेतु को कमजोर कर सकते हैं.

गिलहरी का अमूल्य योगदान

भगवान श्रीराम ने कहा कि नन्हीं गिलहरी के छोटे-छोटे पत्थर और रेत बड़े पत्थरों के बीच के सुराख को भर रहे हैं जिससे बड़े पत्थर आपस में जुड़े रहेंगे. सेतु बनाने में नन्हीं गिलहरी का भी वही अमूल्य योगदान है जो आप सभी का है.