अब बच्चे पैदा करने के लिए सेक्स करने की जरूरत नहीं होगी. वैज्ञानिकों ने इसको लेकर चेतावनी जारी की है. नई तकनीकों और शोध से यह संभावना उभर रही है कि बच्चे पैदा करने के पारंपरिक तरीके को इतिहास के पन्नों में दर्ज किया जा सकता है.
कृत्रिम प्रजनन तकनीकों का विकास
स्टेम सेल शोध से नई संभावनाएं
स्टेम सेल रिसर्च ने प्रजनन के क्षेत्र में एक नई दिशा दी है. वैज्ञानिक 'विट्रो गैमेटोजेनेसिस' पर काम कर रहे हैं, जिसमें त्वचा की कोशिकाओं को अंडाणु और शुक्राणु में बदलने की क्षमता है. यह तकनीक न केवल दंपतियों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी उपयोगी हो सकती है जिनके पास प्राकृतिक प्रजनन का विकल्प नहीं है.
मृत व्यक्ति के शरीर के भी पैदा हो सकेंगे बच्चे
इन नई तकनीकों ने नैतिक और सामाजिक सवाल भी खड़े किए हैं. उदाहरण के लिए मृत व्यक्तियों या बुजुर्गों की कोशिकाओं से अंडाणु और शुक्राणु बनाना. महिलाओं से शुक्राणु और पुरुषों से अंडाणु बनाने की संभावना. 'डिजाइनर बेबी' की अवधारणा, जहां माता-पिता अपने बच्चे के लिए अनुकूलित जीन का चयन कर सकते हैं. ये प्रश्न प्रजनन तकनीक के उपयोग और दुरुपयोग के बीच एक पतली रेखा को दर्शाते हैं.
कृत्रिम गर्भाशय का उभरता हुआ उपयोग
वैज्ञानिक अब कृत्रिम गर्भाशय पर भी काम कर रहे हैं, जिससे बच्चे को जन्म से पहले महिला के गर्भाशय के बाहर विकसित किया जा सकता है. अमेरिका में शोधकर्ताओं ने समय से पहले जन्मे मेमनों को कृत्रिम गर्भाशय में जीवित रखने में सफलता पाई है. भविष्य में, इन तकनीकों का उपयोग गर्भावस्था की अवधि को कम करने या पूरी तरह से समाप्त करने के लिए किया जा सकता है.
क्या होगा पारंपरिक तरीकों का भविष्य?
भले ही सेक्स से प्रजनन खत्म न हो, लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि नई तकनीकें इसे अनिवार्य रूप से अप्रासंगिक बना सकती हैं. यह प्रगति न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में संभावनाएं खोलती है, बल्कि यह समाज, संस्कृति और परिवार के मूल्यों पर भी गहरा प्रभाव डाल सकती है. इस बदलाव के लिए जागरूकता और नैतिकता के साथ कदम उठाना आवश्यक होगा, ताकि नई तकनीकों का सही उपयोग सुनिश्चित हो सके.