नई दिल्ली: चावल एशिया समेत दुनिया के करोड़ों लोगों का मुख्य भोजन है, लेकिन इसे खाने का तरीका अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि चावल को पकाने और परोसने का तरीका यह तय करता है कि वह शरीर में शुगर की तरह काम करेगा या फाइबर की तरह. हाल ही में न्यूट्रिशनिस्ट दीपशिखा जैन ने बताया कि एक छोटा सा बदलाव चावल को ज्यादा सेहतमंद बना सकता है.
चावल में प्राकृतिक रूप से स्टार्च होता है, जो पाचन के दौरान ग्लूकोज में बदल जाता है. यही वजह है कि चावल खाने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है. लेकिन यही स्टार्च अगर जल्दी पच जाए, तो ब्लड शुगर तेजी से बढ़ सकती है. इसलिए चावल की तैयारी और सेवन का तरीका बहुत मायने रखता है.
ताजा उबला हुआ गर्म चावल शरीर में जल्दी पचता है. इसका स्टार्च तुरंत ग्लूकोज में बदल जाता है, जिससे इंसुलिन स्पाइक हो सकता है. दीपशिखा जैन के अनुसार, रोजाना इस तरह चावल खाने से कैलोरी ज्यादा मिलती है और वजन बढ़ने या डायबिटीज का खतरा बढ़ सकता है, प्रीडायबिटिक लोगों में ऐसा होने की संभावना ज्यादा रहती है.
जब चावल पकाने के बाद 8 से 10 घंटे तक ठंडा किया जाता है, तो उसमें मौजूद स्टार्च बदल जाता है. यह स्टार्च रेसिस्टेंट स्टार्च बन जाता है. यह आसानी से पचता नहीं है और फाइबर की तरह काम करता है. इससे ब्लड शुगर अचानक नहीं बढ़ती और कैलोरी भी कम मिलती है.
रेसिस्टेंट स्टार्च आंतों के लिए फायदेमंद माना जाता है. यह लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस कराता है और शुगर कंट्रोल में मदद करता है. दीपशिखा जैन बताती हैं कि ठंडा चावल खाने से वही चावल शरीर में फाइबर जैसा व्यवहार करता है, जो मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए बेहतर है.
एक्सपर्ट्स का कहना है कि चावल को पूरी तरह छोड़ना जरूरी नहीं है. सही तरीका अपनाना ज्यादा जरूरी है. चावल पकाकर कुछ घंटों के लिए ठंडा करें और फिर खाएं. इससे चावल के पोषक तत्व बने रहते हैं और शरीर पर उसका असर संतुलित रहता है.
निष्कर्ष: इस आर्टिकल में दी गई सलाह केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सक की राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें.