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रातभर हीटर चलाकर सोना क्या होता है शरीर के लिए खतरनाक? यहां जानें

सर्दियों में कई लोग हीटर चलाकर सोते हैं, लेकिन इसकी सूखी हवा फेफड़ों और शरीर पर गहरा असर डालती है.

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Reepu Kumari

नई दिल्ली: सर्दियों की ठिठुरन में हीटर कई लोगों के लिए राहत का सबसे आसान तरीका बन जाता है. आरामदायक गर्मी भले अच्छी लगे, लेकिन कमरे की नमी गायब होते ही हवा सूख जाती है और इसका सीधा प्रभाव शरीर पर दिखने लगता है. गला, आंखें और त्वचा सबसे पहले प्रभावित होते हैं.

डॉक्टरों का कहना है कि हीटर की गर्म हवा केवल बाहरी असर नहीं डालती, बल्कि फेफड़ों पर भी गहरा प्रभाव छोड़ती है. खासकर बच्चे, बुजुर्ग और सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को इसका खतरा ज्यादा होता है.

सांस की नलिकाओं पर असर

रातभर हीटर चलाने पर कमरे की नमी कम हो जाती है और हवा अत्यधिक सूखी हो जाती है. यही सूखापन सांस की नलिकाओं को प्रभावित करता है और उनमें जलन बढ़ जाती है. इसी वजह से सुबह उठते समय गला सूखना, खांसी और सीने में भारीपन महसूस होना आम है.

म्यूकस

सूखी हवा फेफड़ों के अंदर मौजूद म्यूकस को गाढ़ा कर देती है, जिससे सांस लेने में रुकावट हो सकती है. इस स्थिति में फेफड़ों की सफाई प्राकृतिक रूप से धीमी हो जाती है और इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है. जिन लोगों को पहले से श्वसन संबंधी समस्याएं हैं, उन्हें अधिक परेशानी होती है.

अस्थमा और एलर्जी

विशेषज्ञ बताते हैं कि अस्थमा और एलर्जी वाले मरीजों को हीटर की हवा सीधा नुकसान पहुंचाती है. रातभर ऐसी हवा में रहने से सांस फूलने, लगातार खांसी आने और सीने में जकड़न जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. इसलिए डॉक्टर सलाह देते हैं कि ऐसे मरीज हीटर का सीमित उपयोग ही करें.

बच्चों और बुजुर्गों को भी प्रभावित

हीटर का लगातार इस्तेमाल बच्चों और बुजुर्गों को भी ज्यादा प्रभावित करता है. कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से उनका शरीर सूखी हवा के खिलाफ तुरंत प्रतिक्रिया करता है. कई बार बच्चों में रात के समय खांसी बढ़ने या सांस लेने में तकलीफ जैसी परेशानियां देखने को मिलती हैं, जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.

इन नुकसानों से बचने के लिए कुछ सावधानियां जरूरी हैं. कमरे में हल्का वेंटिलेशन रखें ताकि हवा का प्राकृतिक प्रवाह बना रहे. पास में पानी की बाल्टी या ह्यूमिडिफायर रखने से नमी संतुलित रहती है. हीटर को पूरी रात न चलाएं और बच्चों व बुजुर्गों को इसके बहुत पास न बैठने दें. इससे फेफड़ों की सेहत को सुरक्षित रखा जा सकता है.

Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है.  theindiadaily.com  इन मान्यताओं और जानकारियों की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह ले लें.