अमेरिका में 60 वर्ष से ऊपर की महिलाओं पर की गई एक नई रिसर्च ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने रखे हैं. आम धारणा यह रही है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की यौन इच्छाएं कम हो जाती हैं, लेकिन इस अध्ययन ने इस सोच को पूरी तरह बदला है. रिपोर्ट में पाया गया कि कई वरिष्ठ महिलाएं न केवल सेक्स टॉयज का उपयोग कर रही हैं, बल्कि यह उनके यौन स्वास्थ्य और मानसिक फिटनेस पर भी सकारात्मक असर डाल रहा है. यह शोध बताता है कि जागरूकता और टेक्नोलॉजी उम्र की सीमाओं को पीछे छोड़ रही हैं.
अध्ययन में शामिल 3,000 से अधिक महिलाओं में एक बड़ा हिस्सा उन महिलाओं का था जो तलाक, पति के निधन या स्वयं के निर्णय के कारण अकेले रह रही थीं. इस स्वतंत्र जीवनशैली ने उन्हें अपने यौन सुख को लेकर ज्यादा जागरूक और आत्मनिर्भर बनाया है. पहले जहां इस उम्र में सेक्स पर चर्चा तक दुर्लभ थी, वहीं आज महिलाएं बिना झिझक अपने अनुभव और पसंद को समझने लगी हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि निजी समय और स्वतंत्र निर्णय इन परिवर्तनों के महत्वपूर्ण कारण हैं.
मेनोपॉज के बाद कई महिलाओं को दर्द, ड्राइनेस या हार्मोनल बदलाव का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पारंपरिक तरीके से संभोग कठिन हो सकता है. इस स्थिति में वाइब्रेटर या नॉन-पेनेट्रेटिव टॉयज आराम और सुख का विकल्प बन रहे हैं. अध्ययन में पाया गया कि जिन महिलाओं ने नियमित रूप से ऐसे टॉयज का उपयोग किया, उनका ऑर्गैज्म अनुभव बेहतर था. कई कपल्स भी इन विकल्पों को अपनाकर अपनी अंतरंगता को नए तरीके से समझ रहे हैं.
रिपोर्ट कहती है कि सेक्स-टॉय कंपनियां अब खासतौर पर उम्रदराज महिलाओं के लिए प्रोडक्ट डिजाइन कर रही हैं. मेनोपॉज-फ्रेंडली डिजाइन, सरल उपयोग और सुरक्षित सामग्री ने इस बाजार को तेजी से बढ़ाया है. पहले जहां ऐसे उत्पादों को लेकर शर्म या हिचक थी, आज ऑनलाइन उपलब्धता और जागरूकता के कारण महिलाएं इन्हें सहजता से अपना रही हैं. विशेषज्ञ इसे उम्र से जुड़ी यौन धारणा में एक बड़ा सामाजिक बदलाव मानते हैं.
रिसर्च में पता चला कि 38.7% महिलाएं कभी-कभी अपने पार्टनर के साथ सेक्स टॉयज़ का उपयोग करती हैं, जबकि सोलो प्लेज़र में यह संख्या और अधिक है. खास बात यह कि नियमित मास्टरबेशन बेहतर शब्द-स्मरण जैसी संज्ञानात्मक क्षमताओं से जुड़ा पाया गया. यह कोई चमत्कार नहीं, बल्कि इस बात का संकेत है कि यौन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं.
रिपोर्ट में डॉ. मोनिका क्रिसमस ने बताया कि कई महिलाओं को अपने ऑर्गैज्म पैटर्न या शरीर की बुनियादी समझ नहीं होती. कई महिलाएं गलतफहमी में रहती हैं कि केवल पेनेट्रेशन से ही ऑर्गैज्म होना चाहिए. विशेषज्ञों का कहना है कि डॉक्टरों को नियमित स्वास्थ्य जांच में सेक्सुअलिटी पर खुली बातचीत करनी चाहिए. उम्रदराज महिलाओं के लिए यह संवाद न केवल आवश्यक है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा सकता है.