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अंडे खाने से होता है कैंसर? FSSAI ने बताई सच्चाई, कर दिया दूध का दूध, पानी का पानी

अंडों में कैंसरकारी तत्व होने की खबरों को FSSAI ने भ्रामक बताया है. नियामक के अनुसार अंडे पूरी तरह सुरक्षित हैं और नाइट्रोफ्यूरान के ट्रेस स्तर से स्वास्थ्य को कोई खतरा नहीं होता.

Kanhaiya Kumar Jha
reports of eggs spreading cancer India Daily
Courtesy: Gemini AI

नई दिल्ली: अंडों में कैंसर पैदा करने वाले पदार्थ पाए जाने की आशंकाओं के बीच भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण FSSAI ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि देश में उपलब्ध अंडे इंसानों के उपभोग के लिए पूरी तरह सुरक्षित हैं.

नियामक संस्था ने हाल में सामने आई मीडिया रिपोर्ट्स और सोशल मीडिया पोस्ट को भ्रामक करार दिया है, जिनमें अंडों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स की मौजूदगी का दावा किया गया था.

वैज्ञानिक आधार से रहित हैं दावे

FSSAI ने अपने आधिकारिक बयान में कहा कि ऐसे दावे वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं और इससे आम लोगों में अनावश्यक डर फैल सकता है. संस्था के अनुसार इन रिपोर्ट्स में पेश किए गए निष्कर्ष न तो किसी ठोस वैज्ञानिक अध्ययन पर आधारित हैं और न ही इन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य जोखिम से जोड़ा जा सकता है.

नाइट्रोफ्यूरान के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध

FSSAI अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम 2011 के तहत पोल्ट्री और अंडों के उत्पादन की पूरी प्रक्रिया में नाइट्रोफ्यूरान एंटीबायोटिक के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध है. इसके बावजूद अगर किसी जांच में इसके ट्रेस स्तर सामने आते हैं, तो वह नियामक कार्रवाई की सीमा के भीतर आते हैं.

EMRL का मतलब गलत तरीके से समझा गया

नियामक ने बताया कि नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के लिए 1.0 माइक्रोग्राम प्रति किलोग्राम की बाहरी अधिकतम अवशेष सीमा EMRL केवल रेगुलेटरी उद्देश्य से तय की गई है. यह सीमा उस न्यूनतम स्तर को दर्शाती है, जिसे आधुनिक लैब तकनीकों से पहचाना जा सकता है. इसका यह अर्थ नहीं है कि इस पदार्थ का उपयोग स्वीकार्य है.

स्वास्थ्य जोखिम का कोई ठोस सबूत नहीं

FSSAI के अनुसार EMRL से नीचे पाए जाने वाले ट्रेस अवशेष न तो खाद्य सुरक्षा नियमों का उल्लंघन हैं और न ही इससे किसी प्रकार का स्वास्थ्य जोखिम होता है. वैज्ञानिक अध्ययनों में नाइट्रोफ्यूरान मेटाबोलाइट्स के सीमित आहार संपर्क और कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया गया है.

अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है भारत

FSSAI ने बताया कि भारत का खाद्य सुरक्षा ढांचा अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है. यूरोपीय संघ और अमेरिका जैसे देश भी खाने वाले जानवरों में नाइट्रोफ्यूरान के उपयोग पर रोक लगाते हैं और वहां भी रेगुलेटरी बेंचमार्क का उपयोग केवल निगरानी और लागू करने के लिए किया जाता है.

अलग घटनाओं को सामान्य बनाना गलत

कुछ खास अंडा ब्रांड्स की जांच से जुड़ी रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए FSSAI ने कहा कि ऐसी घटनाएं अक्सर अलग-थलग और किसी विशेष बैच तक सीमित होती हैं. ये आमतौर पर अनजाने में हुए कंटैमिनेशन या फीड से जुड़ी समस्याओं के कारण होती हैं और पूरे देश की अंडा आपूर्ति प्रणाली को नहीं दर्शातीं.

उपभोक्ताओं से सतर्क रहने की अपील

FSSAI ने उपभोक्ताओं से अपील की है कि वे अपुष्ट खबरों और अफवाहों के बजाय वैज्ञानिक तथ्यों और आधिकारिक सलाह पर भरोसा करें. नियामक ने दोहराया कि नियमों के अनुसार उत्पादित और सही तरीके से खाए गए अंडे संतुलित आहार का एक सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती हिस्सा हैं.