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ताड़ी से बनी दवाओं से हो रहा था डिप्रेशन का इलाज, जिंदगी के लिए आखिर कितना खतरनाक

Fake Depression Medication: नकली दवाओं का सेवन न केवल डिप्रेशन के लक्षणों को और खराब कर सकता है, बल्कि कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है.

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Fake Depression Medication: यूपी में ताड़ी से बनी नकली डिप्रेशन दवा की फैक्ट्री पकड़े जाने से सनसनी फैल गई है. यह घटना उन लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है जो डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियों से जूझ रहे हैं. नकली दवाओं का सेवन दिमाग और सेहत पर गंभीर परिणाम डाल सकता है.

मेडिकल एक्सपर्टस के अनुसार, नकली डिप्रेशन दवाएं दिमाग पर गहरा असर डालती हैं, खासकर उन लोगों पर जो पहले से ही मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं.

नकली दवाओं से पहले भी हुए हैं गंभीर नुकसान

कुछ उदाहरण की बात करें तो 2018 में, दिल्ली में एक 25 वर्षीय युवक को नकली अल्प्राजोलम दवाओं की वजह से लीवर फेल हो गया बाद में पता चला कि दवा में हानिकारक केमिकल्स थे. वहीं 2020 में, मुंबई में एक 40 वर्षीय महिला को नकली एंटीडिप्रेसेंट दवाओं के सेवन के बाद दिल का दौरा पड़ा, जांच में पता चला कि दवा में भारी मात्रा में भारी धातुएं थीं.

2022 में, चेन्नई में एक  एक 15 वर्षीय लड़के, जिसने नींद की समस्या के लिए नकली दवा का सेवन किया, उसे असामान्य रूप से आक्रामक व्यवहार होने लगा. बाद में पता चला कि दवा में उत्तेजक पदार्थ थे जिसकी वजह से तेज एलर्जी हो गई.

नकली दवाओं से हो सकते हैं ये नुकसान

असामान्य उदासी या चिड़चिड़ापन: नकली दवाएं मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं जो भावनाओं को नियंत्रित करते हैं, जिससे अत्यधिक उदासी, चिड़चिड़ापन और निराशा हो सकती है.

आक्रामकता या हिंसा: कुछ मामलों में, नकली दवाएं आक्रामक या हिंसक व्यवहार को जन्म दे सकती हैं. यह मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को प्रभावित करने के कारण होता है जो आवेग और आत्म-नियंत्रण को नियंत्रित करते हैं.

आत्महत्या के विचार: नकली दवाएं आत्महत्या के विचारों को बढ़ा सकती हैं, खासकर उन लोगों में जो पहले से ही आत्महत्या के खतरे में हैं. यह मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को प्रभावित करने के कारण होता है जो मूड और आत्म-मूल्य को नियंत्रित करते हैं.

धुंधलापन या दोहरी दृष्टि: नकली दवाएं आंखों की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे धुंधलापन, दोहरी दृष्टि और अन्य दृष्टि समस्याएं हो सकती हैं.

चक्कर आना या तालमेल की कमी: नकली दवाएं मस्तिष्क के उन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकती हैं जो संतुलन और तालमेल को नियंत्रित करते हैं, जिससे चक्कर आना, गिरना और अन्य समन्वय समस्याएं हो सकती हैं.

दौरे: कुछ मामलों में, नकली दवाएं दौरे पैदा कर सकती हैं. यह मस्तिष्क की विद्युत गतिविधि को बाधित करने के कारण होता है.

सांस लेने में तकलीफ: नकली दवाएं श्वसन प्रणाली को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ और अन्य श्वसन समस्याएं हो सकती हैं.

दिल का दौरा: कुछ मामलों में, नकली दवाएं दिल के दौरे का खतरा बढ़ा सकती हैं. यह रक्तचाप और हृदय गति को प्रभावित करने के कारण होता है.

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये केवल कुछ संभावित दुष्प्रभाव हैं. नकली दवाओं के सेवन से कई अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं. यदि आप डिप्रेशन या किसी अन्य मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं, तो किसी योग्य डॉक्टर से सलाह लेना महत्वपूर्ण है.

डॉक्टर आपके लक्षणों का मूल्यांकन करेगा और आपको उचित उपचार प्रदान करेगा. यह भी याद रखें कि डिप्रेशन का इलाज केवल दवाओं तक ही सीमित नहीं है. थेरेपी, जीवनशैली में बदलाव और सामाजिक समर्थन भी इस बीमारी से लड़ने में मददगार हो सकते हैं.