सर्दियों में दिल्ली और उत्तर भारत के कई इलाके घने धुएं की चादर में लिपट जाते हैं. सुबह-सुबह गला जलता है, सांस लेने में तकलीफ होती है. आंखें पानी छोड़ती हैं. लेकिन ये सिर्फ सांस की समस्या नहीं है. डॉक्टर अब चेतावनी दे रहे हैं कि ये गंदी हवा हमारे खून में शुगर की मात्रा बढ़ा रही है. इससे भारत की पहले से बड़ी डायबिटीज की समस्या और गंभीर हो रही है.
एक नए अध्ययन में पता चला है कि प्रदूषित हवा में रहने वाले लोगों का ब्लड शुगर स्तर सामान्य से 10-15 प्रतिशत ज्यादा रहता है. खासकर डायबिटीज के मरीजों के लिए ये खतरनाक है. उनकी दवाएं कम असर करती हैं. अस्पतालों में भर्ती होने की संख्या बढ़ जाती है.
बच्चे बाहर खेलते हैं, तो उनके छोटे फेफड़े ज्यादा प्रदूषण सोखते हैं. लंबे समय तक ऐसा चलने से टाइप-1 डायबिटीज का खतरा बढ़ता है. बुजुर्गों में तो पहले से हृदय और फेफड़ों की बीमारियां होती हैं. गंदी हवा से ब्लड शुगर अनियंत्रित होकर दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन सकती है.
डॉक्टर्स के अनुसार- 'प्रदूषण के दिनों में डायबिटीज के मरीजों की जांच जरूरी है. शुगर लेवल अचानक बढ़ सकता है.' वे सलाह देते हैं कि घर में रहें, मास्क पहनें और शुगर की नियमित जांच करें. भारत को दुनिया की डायबिटीज राजधानी कहा जाता है. यहां 10 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. प्रदूषण इसे और भयावह बना रहा है. उत्तर भारत में सर्दियों में स्टब बर्निंग यानी पराली जलाने से धुआं बढ़ता है. कारों और फैक्टरियों का धुआं मिलकर हवा को जहर बना देता है.
घर से बाहर निकलते समय N95 मास्क लगाएं.
सुबह-शाम व्यायाम घर के अंदर करें.
हवा साफ करने वाला प्यूरीफायर इस्तेमाल करें.
हरी सब्जियां, फल ज्यादा खाएं.
ब्लड शुगर रोज चेक करें.
गंदी हवा सिर्फ सांस नहीं, हमारी सेहत का दुश्मन है. इसे हल्के में न लें. आज से ही सतर्क हो जाएं.