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'रेड मीट' खाने वाले हो जाएं सावधान, हो रही ऐसी बीमारी जिसका नहीं कोई इलाज, डॉक्टर भी हैरान

इस बीमारी के लक्षण खाने के दो से छह घंटे बाद शुरू होते हैं, जिससे कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है और अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन रेड मीट, डेयरी और पशु-आधारित सामग्री से परहेज जरूरी है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Consuming red meat can be fatal you may be a victim of alpha-gal syndrome

अगर आप रेड मीट खाते हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इसका सेवन आपको ऐसी बीमारी का शिकार बना सकता है जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है. रिपोर्ट्स के मुताबिक रेड मीट खाने से अल्फा-गैल सिंड्रोम नाम की एक गंभीर एलर्जी हो रही है. यह एलर्जी टिक के काटने से शुरू होती है और मांस, डेयरी उत्पाद का सेवन करने से यह गंभीर हो जाती है. इस बीमारी में खुजली और पेट में दर्द जैसी शिकायत होती है. यहां तक की यह जानलेवा एनाफिलैक्सिस का कारण बन सकती है.

डॉक्टर समझ लेते हैं फूड पॉइजनिंग

इसे अक्सर फूड पॉइजनिंग समझ लिया जाता है, जिसके कारण इस बीमारी का कई बार पता ही नहीं चल पाता. विशेषज्ञों का कहना है कि इस एलर्जी को समझना सही निदान और उपचार के लिए महत्वपूर्ण है. यदि आपको मांस या डेयरी खाने के बाद असामान्य लक्षण दिखें, तो तुरंत स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क करें.

अल्फा-गैल सिंड्रोम क्या है?

अल्फा-गैल सिंड्रोम कोई सामान्य खाद्य एलर्जी नहीं है. यह गाय, सुअर और हिरण जैसे स्तनधारियों के मांस और ऊतकों में पाए जाने वाले गैलेक्टोज-अल्फा-1,3-गैलेक्टोज (अल्फा-गैल) नामक शर्करा अणु से शुरू होता है. लोन स्टार टिक या डीयर टिक के काटने से प्रतिरक्षा प्रणाली इस अणु के प्रति संवेदनशील हो सकती है. महीनों बाद, रेड मीट या डेयरी उत्पाद खाने से गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं जैसे चकत्ते, मतली और पेट दर्द हो सकते हैं.

अमेरिका में साढ़े चार लाख लोग प्रभावित

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) के अनुसार, अकेले अमेरिका में लगभग 4,50,000 लोग इस स्थिति से प्रभावित हो सकते हैं. सर्बिया की न्यूज मैगजीन 'व्रेमे' के अनुसार, सर्बिया में भी अल्फा-गैल सिंड्रोम का पहला मामला सामने आया है. टिक की आबादी बढ़ने के कारण यह बीमारी अब वैश्विक स्तर पर फैल रही है. चिंताजनक बात यह है कि कई डॉक्टर अभी भी इस बीमारी से परिचित नहीं हैं, जिससे निदान में देरी होती है.

क्या हैं लक्षण और उपचार

इस बीमारी के लक्षण खाने के दो से छह घंटे बाद शुरू होते हैं, जिससे कारण का पता लगाना मुश्किल हो जाता है और अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है, लेकिन रेड मीट, डेयरी और पशु-आधारित सामग्री से परहेज जरूरी है. टिक के काटने से बचाव भी महत्वपूर्ण है.