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Handloom Day 2025: कांजीवरम से चंदेरी तक, हैंडलूम डे पर अपनी प्यारी मां को गिफ्ट करें ये 10 बेमिसाल हथकरघा साड़ियां

रोजमर्रा की शान, यही है इल्कल आपके लिए. कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला यह कुर्ता टिकाऊ, आरामदायक और अपनी सादगी में खूबसूरत है.

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Edited By: Reepu Kumari
Handloom Day 2025
Courtesy: Pinterest

Handloom Day 2025: राष्ट्रीय हथकरघा दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध वस्त्र परंपरा और बुनकरों की अनसुनी कहानियों का उत्सव है. ये दिन हमें याद दिलाता है कि फैशन सिर्फ तेज रफ्तार ट्रेंड नहीं, बल्कि विरासत, शिल्प और आत्मा से जुड़ा होता है. कांजीवरम की गरिमा हो या चंदेरी की नाजुक बुनावट - हर हथकरघा साड़ी एक कहानी कहती है, जो करघे की ताल, धागों के संवाद और बुनकर के धैर्य से गढ़ी जाती है.

जब बात इस विरासत को सहेजने की हो, तो इससे बेहतर तोहफा और क्या हो सकता है कि आप अपनी प्यारी मां को एक खूबसूरत हथकरघा साड़ी गिफ्ट करें. वो मां, जिसने आपके हर उतार-चढ़ाव में आपकी परछाई बनकर साथ दिया, अब उनके लिए कुछ ऐसा दीजिए जो उतना ही खास हो कुछ ऐसा जो परंपरा की बात भी करे और आपके प्यार को भी बुन दे.

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर, जो हर साल 7 अगस्त को मनाया जाता है, हम न केवल अपने वस्त्रों का बल्कि अपनी पहचान, अपनी जड़ों, अपनी मिट्टी की खुशबू का जश्न मनाते हैं. फास्ट फैशन की ओर भागती दुनिया में, हथकरघा स्थिर रहता है. यह हमें रुकने, सांस लेने और जो वास्तव में हमारा है उसे थामे रखने की याद दिलाता है. 

कांजीवरम (तमिलनाडु): शाश्वत रानी

अगर शान का कोई नाम होता, तो वह कांजीवरम होता. शुद्ध शहतूत रेशम और जरी के किनारों से बुनी हुई, यह वह साड़ी है जिसका सपना हर दक्षिण भारतीय दुल्हन देखती है. यह सिर्फ़ वज़न या चमक की बात नहीं है, यह आपके इर्द-गिर्द लिपटी सदियों पुरानी संस्कृति की बात है.

जामदानी (पश्चिम बंगाल): फुसफुसाती प्रेरणा

मुलायम, स्वप्निल और प्यार से हाथ से बुनी हुई, जामदानी साड़ियाँ मानो चलती-फिरती कविता हों. इन पर छोटे-छोटे डिज़ाइन न तो छपे होते हैं और न ही कढ़ाई की जाती है, बल्कि इन्हें हाथ से, धागे-धागे से बुना जाता है. ये नाज़ुक हैं, बारीक हैं, और सच कहूँ तो, इन्हें पहनने पर ऐसा लगता है जैसे कोई आह भर रही हो.

चंदेरी (मध्य प्रदेश): स्मृति के रूप में प्रकाश

अगर आपने कभी चंदेरी पहनी है, तो आप जानते होंगे कि खूबसूरती कैसी होती है. पंख जैसी हल्की और हल्की चमक वाली, यह बिना कुछ दिखाए पारदर्शी है, और बिना ध्यान खींचे आकर्षक भी.

पैठाणी (महाराष्ट्र): राजसी, हमेशा

वाह, पैठाणी! मोर के पंख जैसे पल्लू और रत्नजटित रेशम के साथ, यह शुद्ध रूप से विरासत में मिला कपड़ा है. असली जादू? यह किसी दादी पर भी उतनी ही शानदार लगती है जितनी किसी नई नवेली दुल्हन पर.

पोचमपल्ली इकत (तेलंगाना): साहसी और प्रतिभाशाली

जिन लोगों को अपनी साड़ियां थोड़ी एटीट्यूड वाली पसंद हैं, उनके लिए पोचमपल्ली एकदम सही है. इसके सममित, ज्यामितीय पैटर्न और चटक रंग इसे बोल्ड लिपस्टिक का साड़ी संस्करण बनाते हैं. यह स्मार्ट है, बहुमुखी है, और निश्चित रूप से अलग दिखने से नहीं हिचकिचाती.

बनारसी (उत्तर प्रदेश): हर धागे में ड्रामा

बनारसी साड़ी से बेहतर भारतीय उत्सव का एहसास और कुछ नहीं. असली ज़री से बुनी और मुगल-प्रेरित जटिल रूपांकनों से सजी ये साड़ियाँ एक अलग ही माहौल देती हैं. और जहां दुल्हन के लिए लाल रंग तो खास है ही, वहीं हमें आधुनिक बनारसी साड़ी के धूल भरे पेस्टल और रत्नों के रंग भी बहुत पसंद आ रहे हैं.

कासवु (केरल): जहां सादगी चमकती है

सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद साड़ी में एक शांत शक्ति छिपी होती है. कसावु कोई भड़कीला नहीं होता, और जरूरी भी नहीं. इसे ओणम, मंदिर दर्शन और पारिवारिक समारोहों में बड़े गर्व से पहना जाता है. लेकिन सच कहूं तो, जब आप सहज रूप से दिव्य दिखना चाहती हैं, तो यह एकदम सही साड़ी है.

मूगा सिल्क (असम): स्वभाव से सुनहरा

ये दुर्लभ है. और हमारा मतलब सचमुच दुर्लभ है. सिर्फ़ असम में पाया जाने वाला मूगा सिल्क, एक प्राकृतिक सुनहरी चमक लिए हुए है जो हर बार पहनने पर और निखरती जाती है. ये आलीशान है, लेकिन दिखावटी नहीं.

पटोला (गुजरात): एक सच्चा खजाना

अगर कोई साड़ी फ्रेम करवाने लायक है, तो वो है पटोला. डबल इकत तकनीक इतनी जटिल है कि सिर्फ़ एक साड़ी बनाने में महीनों लग सकते हैं. इसके पैटर्न दोनों तरफ़ बिल्कुल सही लगते हैं - मानो जादू हो. हाँ, ये महंगी ज़रूर है.

इल्कल (कर्नाटक): कम महत्व दिया गया और कम आंका गया

रोजमर्रा की शान, यही है इल्कल आपके लिए. कर्नाटक और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला यह कुर्ता टिकाऊ, आरामदायक और अपनी सादगी में खूबसूरत है. गहरे लाल रंग का पल्लू और मिट्टी के रंग इसे एक देहाती आकर्षण देते हैं जो हमें बेहद पसंद है.