Iron Dome: 13 अप्रैल की देर रात ईरान ने इजरायल पर हमला करके अपनी ताकत दिखाई. इस हमले का इजरायल पर कोई असर नहीं हुआ. क्योंकि उसके आयरन डोम सिस्टम ने ईरान के सैंकड़ों ड्रोन, बैलेस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइलों को हवा में नष्ट कर दिया. इजरायल ने दावा किया कि उसने ईरान के लगभग 99 परसेंट मिसाइल, रॉकेट और ड्रोन को हवा में ही मार गिराया है. आयरन डोम इजरायल का रक्षा कवच है. इजरायल को हराने के लिए सबसे पहले उसके रक्षा कवच को भेदना होगा.
1947 में यूनाइटेड नेशन ने फिलिस्तीन को दो हिस्सों में बांटकर इजरायल बनाया था. इजरायल 22,145 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. मिडिल ईस्ट का ये छोटा सा देश बड़े-बड़े देशों को कई बार धूल चटा चुका है. कारण है टेक और आर्मी. इजरायल ने शुरुआत से ही अपनी रक्षा के लिए अपनी आर्मी और टेक्नोलॉजी पर बहुत निवेश किया है. यही निवेश उसने 2006 में आयरन डोम बनाने के लिए किया था.
आयरन डोम का पूरा नाम ‘आयरन डोम एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ है. इजरायली धरती की ओर आ रहे रॉकेट और मिसाइल को आयरन डोम सिस्टम ट्रैक करके उसे हवा में ही मार गिराता है. 2006 में इसे बनाने की योजना शुरू की गई थी और 2011 में इसे पहली दफा इस्तेमाल किया गया था, जब हमास द्वारा छोड़ी गई मिसाइल को इसने में हवा में ही मार गिराया था.
इजरायली सेना के मुताबिक आयरन डोम की सफलता दर 90 परसेंट तक है. यानी अगर 100 मिसाइल इजरायल पर दागी जा रही है तो 90 मिसाइल को आयरन डोम हवा में ही नष्ट कर देगा.
आयरन डोम की यूनिट इजरायल के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद हैं. इस सिस्टम को कहीं भी ले जाया जा सकता है. हर यूनिट में 3 से 4 लॉन्चिंग व्हीकल लगे होते हैं. इन लॉन्चिंग व्हीकल से 20 मिसाइलें दागी जा सकती हैं.
आयरन डोम को छोटी दूरी से किए गए हमलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. आयरन डोम 70 किलोमीटर की रेंज में आने वाली मिसाइल और रॉकेट को इंटरसेप्ट कर सकता है. जैसी ही कोई मिसाइल इस सिस्टम की रेंज में आता है तो यह तुरंत उसे इंटरसेप्ट करता है. अगर रॉकेट से कुछ नुकसान है तो मिसाइल फायरिंग यूनिट रॉकेट लॉन्च करके इसे हवा में ही मार गिराएगा.
किसी भी देश के लिए इजरायल के आयरन डोम सिस्टम को खत्म करना आसान नहीं है. पूरे इजरायल में आयरन डोम की सैकड़ों यूनिट लगी हैं. इन यूनिट को रॉकेट या मिसाइल से उड़ाकर खत्म करना नामुमकिन जैसा है. आयरन डोम सिस्टम की ये यूनिट रॉकेट या मिसाइल को हवा में ही मार गिरा देने में सक्षम हैं ऐसे में ये संभावना कम ही है कोई देश इजरायल के आयरन डोम सिस्टम को खत्म कर पाएगा. इस सिस्टम को अगर कोई देश खत्म भी कर देता तो भी इजरायल इसे दोबारा से बना सकता है. अब दूसरा सवाल ये है कि आयरन डोम सिस्टम के लूपहोल्स क्या हैं? आइए अब इस सवाल का जवाब जानने की कोशिश करते हैं.
आयरन डोम के कई लूप होल हैं. पहला लूप होल 7 अक्टूबर को देखने को मिला था. जब हमास ने इजरायल पर 5 हजार से ज्यादा रॉकेट दागकर युद्ध का ऐलान कर दिया था. कुछ रॉकेट इजरायल में प्रवेश कर गई थी जिससे हजारों लोगों की मौत हो गई थी. एक रॉकेट तो इजरायल मिलिट्री के परिसर में भी गिरा था.
आयरन डोम एक निश्चित संख्या तक ही रॉकेट और इजरायल को इंटरसेप्ट कर सकता है. निश्चित संख्या क्रॉस होने पर रॉकेट और मिसाइल इजरायल में प्रवेश कर सकते हैं. ये हमें 7 अक्टूबर को देखने को मिला था. जब हमास के कुछ रॉकेट इजरायल में प्रवेश कर गए थे.
आयरन डोम में लगे इंटरसेप्टर की कीमत 1.5 लाख डॉलर होती है. ईरान के हमले को बेअसर करने के लिए इजरायल ने पानी की तरह पैसा बहाया था. 300 से ज्यादा मिसाइल और रॉकेट को इंटरसेप्ट करके उसे हवा में मार गिराने में करोड़ों रुपये लग जाते हैं. यानी इसे मेंटेन करके रखना का खर्च बहुत है. अगर ईरान एक रोज इजरायल पर हजारों की संख्या में मिसाइल और रॉकेट दागता है तो एक समय बाद इन सिस्टम को मेंटेन करके रख पाना बहुत ही कठिन हो जाएगा. ऐसे में यह भी एक तरह से आयरन डोम का लूप होल ही है.
ईरान और इजरायल एक दूसरे से सीमा भी नहीं साझा करते हैं. ऐसे में ईरान के लिए इजरायल से हवाई जंग करना बहुत ही कठिन हो सकता है. और हवाई जंग में इजरायल बहुत मजबूत है. उसका एयर डिफेंस सिस्टम ईरान के हवाई हमले को रोकने में सक्षम है. ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ईरान हवाई हमला करके इजरायल से नहीं जीत सकता है.
हवा में जंग जीतने के लिए ईरान को इजरायल के आयरन डोम सिस्टम को तबाह करना होगा. जैसे यूक्रेन ने दावा किया था उसने रूस के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 को तबाह कर दिया है. हालांकि ये यूक्रेन के दावे को रूस ने खारिज कर दिया था. रिपोर्ट्स के अनुसार इजरायल का आयरन डोम ईरान के फतह हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकने में नाकामयाब रहा था. यानी इसे भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि ईरान के पास ऐसी मिसाइल है जो इजराइल के आयरन डोम को भेद सकती हैं.