menu-icon
India Daily

ट्रंप बार-बार कर रहे कॉल, पीएम मोदी नहीं उठा रहे फोन? आखिर अमेरिकी राष्ट्रपति से बात करने से क्यों बच रहे हैं प्रधानमंत्री

न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) की एक नई रिपोर्ट में एक जर्मन अखबार के इस दावे का समर्थन किया गया है कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के हफ्तों में रुके हुए कारोबार से जुड़े समझौते को लेकर पीएम मोदी को कई बार फोन किया.

auth-image
Edited By: Mayank Tiwari
US President Donald Trump with Prime Minister Narendra Modi
Courtesy: X

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सहज और अक्सर तथ्यों से परे बयानबाजी ने क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनकी कॉल्स लेने से सतर्क कर दिया? न्यूयॉर्क टाइम्स (एनवाईटी) की एक नई रिपोर्ट ने जर्मन अखबार के दावे का समर्थन करते हुए खुलासा किया है कि ट्रंप ने हाल के हफ्तों में पीएम मोदी को कई बार फोन किया था, लेकिन भारतीय पक्ष ने इन कॉल्स को नजरअंदाज कर दिया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक तौर पर, दोनों नेताओं के बीच आखिरी फोन कॉल 17 जून को हुई थी, जब ट्रंप ने कनाडा में जी7 समिट से अचानक वापसी की थी. जी7 के साइडलाइन्स पर ट्रंप-मोदी की द्विपक्षीय बैठक रद्द हो गई थी. यह घटना 30 अगस्त 2025 को सामने आई, जब अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया, जो रूस से तेल खरीदने पर सजा के रूप में देखा जा रहा है.

जून में हुई थी ट्रंप-मोदी के बीच आखिरी आधिकारिक कॉल 

इस कॉल के दौरान, ट्रंप ने मोदी से वाशिंगटन में स्टॉपओवर की मांग की, लेकिन प्रधानमंत्री ने क्रोएशिया यात्रा के पूर्व तय कार्यक्रम का हवाला देकर इनकार कर दिया. बाद में पता चला कि भारत को आशंका थी कि ट्रंप पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर के साथ फोटो-ऑप करवाने का दबाव डाल सकते हैं, जिन्हें उसी समय व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रित किया गया था. अमेरिकी मिट्टी पर भारत-पाकिस्तान को जोड़ना भारत के लिए खराब छवि का कारण बन सकता था. तब से भारत-अमेरिका संबंधों में खटास आ गई है.

 ट्रंप ने भारत पर 50% टैरिफ थोप दिया. साथ ही कृषि और डेयरी सेक्टर खोलने के इनकार पर व्यापार समझौते की वार्ता रोक दी. एनवाईटी की रिपोर्ट के अनुसार, जर्मन अखबार फ्रैंकफर्टर अल्गेमाइने ने भी पुष्टि की कि ट्रंप ने हाल के हफ्तों में चार बार मोदी को कॉल करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

ट्रंप के संपर्क प्रयास और भारत की सतर्कता

एनवाईटी रिपोर्ट के मुताबिक, बाद में ट्रंप-मोदी के बीच आंशिक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए कॉल सेटअप करने का प्रयास हुआ. हालांकि, अमेरिका और भारत—जो लंबे समय से वाशिंगटन का सहयोगी रहा है. इसके बीच विश्वास सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था, इसलिए भारत ने सतर्कता बरती. एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने एनवाईटी को बताया कि मोदी सरकार के उच्च पदाधिकारी ट्रंप की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर कॉल में चर्चा या समझौते के बावजूद कुछ भी पोस्ट करने की चिंता में थे.

ट्रंप ने PM मोदी से कई संपर्क करने की कोशिश की

कारोबार समझौते में प्रगति न होने पर गुस्साए ट्रंप ने “कई बार” पीएम मोदी से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन प्रधानमंत्री ने इन अनुरोधों का जवाब नहीं दिया. व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने हालांकि ट्रंप के मोदी से संपर्क करने से इनकार किया. भारत ट्रंप की अतिशयोक्ति वाली प्रवृत्ति से अच्छी तरह वाकिफ है, जो बातचीत के परिणामों को गलत तरीके से पेश कर सकते हैं. मई में ट्रंप ने एकतरफा घोषणा की थी कि उन्होंने व्यापार दबाव से भारत-पाकिस्तान के बीच युद्धविराम कराया, जिससे नई दिल्ली हैरान रह गई. तब से ट्रंप ने यह दावा दोहराया है और यहां तक कि संघर्ष के दौरान गिराए गए लड़ाकू विमानों की संख्या भी गढ़ ली है.

 ट्रंप की मध्यस्थता दावों का क्या पड़ा असर!

वास्तव में, अमेरिकी वित्तीय सेवा कंपनी जेफ्रीज की एक हालिया रिपोर्ट ने खुलासा किया कि ट्रंप के भारत के खिलाफ अतिशयोक्ति वाले बयानों का मूल कारण नई दिल्ली का पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान मध्यस्थता की अनुमति न देना था. ट्रंप ने खुद को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए दावेदार बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने साफ कर दिया कि युद्धविराम द्विपक्षीय था.

जून 17 की कॉल में मोदी ने ट्रंप को साफ कहा कि "इस पूरे घटनाक्रम के दौरान किसी भी स्तर पर भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर कोई चर्चा नहीं हुई, या भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका द्वारा मध्यस्थता का कोई प्रस्ताव नहीं आया." उन्होंने जोर दिया कि सैन्य कार्रवाई रोकने की चर्चा सीधे भारत और पाकिस्तान के बीच हुई, और पाकिस्तान की मांग पर शुरू हुई.

मोदी ने कहा कि भारत मध्यस्थता स्वीकार नहीं करता और कभी नहीं करेगा. यह घटना भारत-अमेरिका संबंधों पर सवाल खड़े कर रही है, खासकर जब ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया. भारत को लगता है कि यह उकसावा है, जबकि अमेरिका इसे क्षेत्रीय शांति का हिस्सा बता रहा है.