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ड्रैगन से दोस्ती कर क्या इंडिया को धोखा देंगे डोनाल्ड ट्रंप? जिनपिंग को शपथ ग्रहण में न्यौता, PM मोदी को क्यों किया अनदेखा

प्रधानमंत्री मोदी का ट्रंप के शपथ ग्रहण में शामिल न होना एक सामरिक कूटनीतिक कदम हो सकता है, ताकि भविष्य में अमेरिका के किसी भी प्रशासन से भारत के संबंध प्रभावित न हों.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Why Donald Trump not invite PM Modi to presidential swearing-in ceremony China Xi Jinping
Courtesy: Social Media

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अपने दूसरे कार्यकाल के लिए शपथ लेने जा रहे हैं. इस मौके पर उन्होंने कई वैश्विक नेताओं को अपने शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है, जिनमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम भी शामिल है. हालांकि, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस सूची में जगह नहीं मिली है, जो राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है.

इससे पहले, जब डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में एक-दूसरे के खिलाफ थे, तब सितंबर 2024 में प्रधानमंत्री मोदी संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने न्यूयॉर्क गए थे. उस समय ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने की इच्छा जताई थी, क्योंकि उनका मानना था कि मोदी के साथ एक उच्च स्तरीय मुलाकात से उनकी चुनावी छवि को मजबूती मिल सकती थी.

भारत ने कूटनीतिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण फैसला लिया था. दरअसल, 2019 में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम के दौरान ट्रंप का चुनावी प्रचार भारतीय राजनीति में विवादों का कारण बना था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसी को देखते हुए यह तय किया था कि भारत अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों से दूरी बनाकर रखेगा. यह भारत के लिए अच्छा होगा. नहीं तो चुनावों के परिणामों के बावजूद भारत-अमेरिकी संबंधों पर कोई नकारात्मक असर पड़ सकता है.

डोनाल्ड ट्रंप ने ड्रैगन को बनाया दोस्त

ट्रंप ने चीन को भले ही निमंत्रण भेजा है लेकिन चीन के राष्ट्रपति शपथ ग्रहण समारोह में शामिल नहीं होगंगे. वह खुद न जाकर अपने एक किसी वरिष्ठ प्रतिनिधि को भेजेंगे. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि अमेरिका और चीन की दोस्ती हो गई है. दोनों एक दूसरे के मुखर विरोधी है. भले ही ट्रंप ने चीन को अपने शपथग्रहण समारोह का निमंत्रण दिया है लेकिन इससे दोनों देशों के बीच जो टकरार है वह खत्म नहीं होने वाली है. 

प्रधानमंत्री मोदी को न्योता न देने के पीछे क्या है कारण?

प्रधानमंत्री मोदी को इस बार ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह के लिए निमंत्रण न दिए जाने के कारणों को समझने के लिए हमें पिछले कुछ घटनाक्रमों पर गौर करना होगा. भारत की हमेशा से यह स्ट्रैटिजी रही है कि वह अमेरिकी की किसी एक पार्टी से तक अपने संबंध सीमित न रखें. एक पार्टी से दोस्ती और दूसरे से दुश्मनी मोल लेना भारत के हित में घातक साबित हो सकता है. इसलिए पीएम मोदी ने 2024 में ट्रंप से मुलाकात करने से मना कर दिया था. शायद इसी कारण ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति पद के शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण पीएम मोदी को नहीं भेजा. 

इससे पहले दिसंबर में भारत के विदेश मंत्री एस जय शंकर ने अमेरिका का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने ट्रांजिशन टीम से मुलाकात कर यह संकेत देने की कोशिश की थी कि भारत ने अपने कूटनीतिक संतुलन को बनाए रखने का निर्णय लिया है. विदेश मंत्रालय ने यह स्पष्ट किया कि विदेश मंत्री की वाशिंगटन डीसी यात्रा का उद्देश्य भारत-अमेरिका के संबंधों को और मजबूत करना था.

भारत ने यह साफ कर दिया है कि वह अमेरिका के दोनों प्रमुख राजनीतिक दलों—डेमोक्रेट और रिपब्लिकन—के साथ एक समान संबंध रखेगा. किसी से अधिक दोस्ती करके दूसरे से दुश्मनी मोल नहीं लेनी है.