नई दिल्ली: फरवरी 2024 में देश के पार्लियामेंट्री इलेक्शन के बाद बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ऑफिस छोड़ने का प्लान बना रहे हैं. रॉयटर्स के साथ एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वह ऐसा महसूस कर रहे हैं कि उन्हें मौजूदा अंतरिम सरकार ने बेइज्जत किया है या फिर किनारा कर दिया है.
शहाबुद्दीन देश की आर्म्ड फोर्सेज के कमांडर-इन-चीफ हैं, लेकिन प्रेसिडेंट के तौर पर उनका रोल ज्यादातर सेरेमोनियल है. बांग्लादेश में, प्राइम मिनिस्टर और कैबिनेट के पास ज्यादातर पावर होती है. हालांकि, प्रेसिडेंट का पद पिछले साल तब और इंपॉर्टेंट हो गया, जब प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा. हसीना को अगस्त 2024 में स्टूडेंट्स के नेतृत्व वाले प्रोटेस्ट की वजह से देश छोड़ना पड़ा था.
बता दें कि शहाबुद्दीन 2023 में बिना किसी कॉम्पिटिशन के प्रेसिडेंट चुने गए थे, उन्होंने हसीना की पॉलिटिकल पार्टी, अवामी लीग को रिप्रेजेंट किया था. हालांकि, अब उनकी पार्टी को फरवरी इलेक्शन में हिस्सा लेने से बैन कर दिया गया है. शहाबुद्दीन का कहना है कि उन्हें नजरअंदाज किया गया है. शहाबुद्दीन ने कुछ ही समय पहले कहा था कि वो जाना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि वह सिर्फ चुनाव होने तक ही ऑफिस में रहेंगे, क्योंकि वह अभी भी संविधान के अनुसार अपनी जगह पर बने हुए हैं.
शहाबुद्दीन ने बताया कि यूनुस की अंतरिम सरकार ने उन्हें किनारे कर दिया था. सितंबर में दुनिया भर की एम्बेसी और कॉन्सुलेट से प्रेसिडेंट की तस्वीरें भी हटा दी गईं. शहाबुद्दीन ने कहा कि उनकी तस्वीरें हटाने से लोगों में एक बुरा मैसेज गया, जिससे ऐसा लगा कि उन्हें ऑफिस से हटाया जा सकता है. उन्होंने कहा, "मुझे बहुत बेइज्जती महसूस हुई."
हालांकि, उन्होंने अपनी तस्वीरें हटाने के बारे में यूनुस को लिखा था, लेकिन उन्हें कभी कोई जवाब नहीं मिला. उन्होंने आगे कहा, "मेरी आवाज दबा दी गई है." यूनुस की टीम ने इस मामले पर कोई कमेंट नहीं किया है. शहाबुद्दीन ने यह भी बताया कि वह आर्मी हेड जनरल वकर-उज-जमान के रेगुलर कॉन्टैक्ट में रहते हैं, जिन्होंने वादा किया है कि आर्मी सरकार पर कब्जा करने की कोशिश नहीं करेगी, भले ही बांग्लादेश की पॉलिटिक्स में मिलिट्री का दखल रहा हो.