नई दिल्ली: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 25 दिसंबर को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता बढ़ गई है. जर्मनी के दूतावास ने 24 और 25 दिसंबर को अपने सभी कामकाज बंद रखने की घोषणा की है. वहीं अमेरिका के दूतावास ने 25 दिसंबर के लिए यात्रा और सुरक्षा को लेकर एडवाइजरी जारी की है. इन कदमों ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर इस तारीख को बांग्लादेश में क्या होने वाला है.
जर्मन दूतावास ने सोशल मीडिया पर बताया कि दूतावास 24 और 25 दिसंबर को बंद रहेगा और 28 दिसंबर से काम फिर शुरू होगा. दूसरी ओर अमेरिकी दूतावास ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ढाका में एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है.
The Embassy will be closed 24-25 December and will resume its affairs on 28 December 2025. pic.twitter.com/BN1tl1VV3k
— Germany in Bangladesh (@GermanEmbassyBD) December 22, 2025
अमेरिकी एडवाइजरी के अनुसार यह कार्यक्रम 25 दिसंबर को सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगा. यह कार्यक्रम हजरत शाहजलाल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुलशन तक होगा और पूर्वाचल एक्सप्रेसवे सहित कई अहम सड़कों से गुजरेगा. दूतावास ने चेतावनी दी है कि इससे भारी ट्रैफिक जाम हो सकता है. लोगों को अतिरिक्त समय लेकर चलने और वैकल्पिक रास्ते अपनाने की सलाह दी गई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बीएनपी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान 17 साल बाद 25 दिसंबर को बांग्लादेश लौट सकते हैं. उन्होंने लंदन स्थित बांग्लादेश उच्चायोग में ट्रैवल पास के लिए आवेदन किया है. बीएनपी ने दावा किया है कि वह 25 दिसंबर को ही ढाका एयरपोर्ट पहुंचेंगे. तारिक रहमान बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया के बेटे हैं और लंबे समय से ब्रिटेन में रह रहे थे.
इन घटनाओं में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत भी अहम मानी जा रही है. 12 दिसंबर को उन पर गोलीबारी हुई थी और इलाज के दौरान सिंगापुर में उनकी मौत हो गई. इसके बाद बांग्लादेश के कई हिस्सों में हिंसा हुई थी. कई पश्चिमी देशों ने उनकी मौत पर शोक जताया था. जर्मन दूतावास ने झंडा भी आधा झुका दिया था.
भारत और बांग्लादेश के संबंध भी इस समय तनाव में हैं. हादी की मौत के बाद भारत विरोधी भावनाएं बढ़ीं. हाल ही में नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन को लेकर दोनों देशों के बीच बयानबाजी हुई. इन सभी घटनाओं के बीच 25 दिसंबर को लेकर अंतरराष्ट्रीय दूतावासों की सतर्कता ने हालात को और संवेदनशील बना दिया है.