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कौन है पाकिस्तान आर्मी का लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी, जो आतंक को देता है सरंक्षण, बाप भी था आतंकी

लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी का उदाहरण दिखाता है कि पाकिस्तान की सेना में जिहादी डीएनए कितना गहरा है. उनके पिता सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद ने अल-कायदा को परमाणु ताकत देने की कोशिश की थी. यह खुलासा न केवल पाकिस्तान की छवि को धूमिल करता है, बल्कि वैश्विक सुरक्षा के लिए भी खतरे की घंटी है. जब तक ऐसे लोग सेना में ऊंचे पदों पर रहेंगे, आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई अधूरी रहेगी.

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Edited By: Mayank Tiwari
Pakistan's DG ISPR Ahmed Sharif Chaudhry
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान की सैन्य व्यवस्था और आतंकवाद के बीच का रिश्ता किसी से छिपा नहीं है. इसका एक जीता-जागता उदाहरण हैं लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी, जो पाकिस्तान के इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस (आईएसपीआर) के महानिदेशक हैं. चौधरी आज भारत-पाकिस्तान सैन्य संकट पर दुनिया को जानकारी दे रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी का असली चेहरा तब सामने आता है जब पता चलता है कि वे एक घोषित आतंकवादी सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद के बेटे हैं. महमूद अल-कायदा के सरगना ओसामा बिन लादेन के सहयोगी थे. यह तथ्य न केवल पाकिस्तान की सेना की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि उसका आतंकवाद से कितना गहरा नाता है.

जानिए कौन हैं सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद?

सुल्तान बशीरुद्दीन महमूद कभी पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के एक सम्मानित वैज्ञानिक थे. उन्होंने इस्लामी गणराज्य के "डर्टी बम" को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई. लेकिन उनकी कट्टर धार्मिक विचारधारा ने सबको चौंका दिया. "उनकी धार्मिक तीव्रता और इस्लामी चरमपंथ के प्रति सहानुभूति ने उनके सहयोगियों को डरा दिया," 2009 में द न्यूयॉर्क टाइम्स मैगज़ीन की एक रिपोर्ट में लिखा गया था.

इसके चलते उन्हें समय से पहले रिटायरमेंट लेना पड़ा. रिटायरमेंट के बाद, महमूद ने उमाह तामीर-ए-नौ (यूटीएन) नामक संगठन की स्थापना की, जो दिखावे में गैर-लाभकारी था, लेकिन असल में आतंकवाद को बढ़ावा देता था. यूटीएन ने अल-कायदा और तालिबान को परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियारों की जानकारी मुहैया कराई.

संयुक्त राष्ट्र की आतंकवादी सूची में नाम

सितंबर 2001 में अमेरिका पर हुए हमलों के बाद, दिसंबर में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अल-कायदा प्रतिबंध समिति ने महमूद को आतंकवादी घोषित किया. समिति ने उन्हें "महमूद सुल्तान बशीर-उद-दिन" के नाम से लिस्टेड किया और अल-कायदा, ओसामा बिन लादेन और तालिबान से संबंधों के लिए जिम्मेदार ठहराया. रिपोर्ट में कहा गया, "यूटीएन की अफगानिस्तान यात्राओं के दौरान, बशीरुद्दीन ने बिन लादेन और अल-कायदा के नेताओं से मुलाकात की और परमाणु, रासायनिक और जैविक हथियारों पर चर्चा की." महमूद ने तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर से भी मुलाकात की और हथियार बनाने की तकनीक साझा की.

लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी और पाकिस्तान का झूठ

आज लेफ्टिनेंट जनरल चौधरी आईएसपीआर के मुखिया हैं और भारत के खिलाफ गलत सूचनाएं फैलाने में जुटे हैं. वे पाकिस्तान को "आतंकवाद का असहाय शिकार" बताने की कोशिश करते हैं, लेकिन उनके पिता का आतंकवादी इतिहास इस दावे की पोल खोल देता है. पाकिस्तान की सेना में आतंकवाद का मिश्रण कोई नई बात नहीं है.

सेनाध्यक्ष जनरल असीम मुनीर के पिता एक शिक्षक-संत थे, लेकिन चौधरी के पिता ने पश्चिमी देशों को डराने का काम किया. अमेरिकी खुफिया एजेंसियां इस बात से चिंतित थीं कि महमूद जैसे वैज्ञानिक आतंकवादियों को परमाणु हथियारों तक पहुंच दे सकते हैं.