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India Daily

Nepal Protest: 'सभी पक्ष संयम बरते', नेपाल हिंसा पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया आई सामने, भारतीयों के लिए जारी की एडवाइजरी

नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों में हालात बिगड़ने पर काठमांडू सहित कई शहरों में फिर से कर्फ्यू लगाया गया. भारत ने गहरी चिंता जताते हुए नेपाल में मौजूद भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है और उनके लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किये हैं. प्रधानमंत्री ओली ने बैन हटाने और जांच का वादा किया है, लेकिन प्रदर्शनकारी उनके इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं.

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Edited By: Km Jaya
नेपाल प्रदर्शन
Courtesy: Social Media

Nepal Protest: नेपाल में सोशल मीडिया बैन को लेकर भड़की हिंसा के बीच भारत सरकार ने मंगलवार को गहरी चिंता जताई और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की. विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान जारी कर कहा कि नेपाल में हालात पर करीबी नजर रखी जा रही है. मंत्रालय ने हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की.

विदेश मंत्रालय ने कहा, 'हम नेपाल की घटनाओं पर करीबी नजर रख रहे हैं और युवाओं की मौत से गहरा दुख है. हमारी संवेदनाएं मृतकों के परिवारों के साथ हैं और हम घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं. एक नजदीकी मित्र और पड़ोसी होने के नाते हम उम्मीद करते हैं कि सभी पक्ष संयम बरतेंगे और मुद्दों का समाधान शांतिपूर्ण संवाद से करेंगे.' भारतीय दूतावास ने नेपाल में मौजूद भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने, भीड़भाड़ वाले इलाकों से दूर रहने और स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की सलाह दी है. मंत्रालय ने कर्फ्यू की स्थिति का भी जिक्र किया, जो काठमांडू समेत कई शहरों में फिर से लागू किया गया है.

जारी किए हेल्पलाइन नंबर

काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास का कहना है, 'नेपाल में सभी भारतीय नागरिकों से अनुरोध है कि वे किसी भी आपातकालीन स्थिति का सामना करने या सहायता की आवश्यकता होने पर संपर्क के लिए काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास के टेलीफोन नंबरों पर ध्यान दें: +977 – 980 860 2881, +977 – 981 032 6134.'

नेपाल में हिंसा और कर्फ्यू

सोमवार को काठमांडू और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच हुई झड़पों में कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई और 300 से अधिक लोग घायल हो गए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह हाल के वर्षों में सबसे हिंसक झड़पों में से एक रही. प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार सुबह फिर सड़कों पर उतरकर संसद के पास और कालांकी इलाके में सड़कें जाम कर दीं. इसके बाद जिला प्रशासन ने रिंग रोड क्षेत्र में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लागू करने का ऐलान किया. काठमांडू और इटहरी में सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी की. प्रदर्शन का नेतृत्व ज्यादातर छात्रों ने किया, जो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

गुस्सा और पीड़ा

कई पीड़ित परिवारों ने सरकार पर दमन का आरोप लगाया है. रिटायर्ड नेपाल आर्मी कर्नल मधव सुंदर खड़गा ने बताया कि उनका बेटा प्रदर्शन के दौरान लापता हो गया. जिसकी शिकायत के लिए वे पुलिस के पास गए लेकिन पुलिस    ने उनके साथ भी मारपीट की. एक छात्र ने कहा, 'कई छात्रों की हत्या हुई है. प्रधानमंत्री ओली को देश छोड़ना चाहिए. जिसके लिए छात्रों को आवाज उठाते रहना चाहिए.'

सरकार की सफाई

प्रधानमंत्री ओली ने देर रात संबोधन में सोशल मीडिया बैन हटाने की घोषणा की और हिंसा के लिए 'बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप' को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने जांच आयोग, पीड़ित परिवारों को आर्थिक राहत और घायलों के लिए मुफ्त इलाज का वादा किया. हालांकि आश्वासनों के बावजूद प्रदर्शनकारी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और प्रधानमंत्री के इस्तीफे तक आंदोलन जारी रखने की चेतावनी दे रहे हैं.