Nepal Gen-Z Protest: नेपाल इन दिनों जबरदस्त राजनीतिक उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. काठमांडू समेत कई शहरों में युवाओं का आक्रोश सड़कों पर दिख रहा है. मौजूदा ओली सरकार के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन ने इतना उग्र रूप ले लिया कि हालात काबू में करने के लिए सरकार को सेना तक उतारनी पड़ी. इस आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया बैन के विरोध से हुई थी, लेकिन अब यह व्यापक भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सरकार की नीतियों के खिलाफ एक बड़े जनआंदोलन में बदल चुका है. इस बीच प्रदर्शनकारियों की मौत और हिंसा को लेकर नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने प्रदर्शनकारियों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में अवांछित तत्वों की घुसपैठ हुई थी, जिसके चलते सरकार को बल प्रयोग करना पड़ा. हालांकि युवाओं ने साफ कर दिया है कि उनकी लड़ाई अब सिर्फ सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं है, बल्कि वे संसद भंग कर अंतरिम सरकार बनाने और जल्द चुनाव कराने की मांग पर अड़े हैं.
काठमांडू की सड़कों पर सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में अब तक 20 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक घायल हुए हैं. घायलों में कई युवाओं की हालत गंभीर बताई जा रही है. हिंसा के बाद राजधानी काठमांडू, ललितपुर, पोखरा, बुटवल और सुनसरी जिले के इटाहरी समेत कई इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. प्रशासन ने सभाओं, जुलूसों और धरनों पर भी रोक लगा दी है.
गृह मंत्री रमेश लेखक ने सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे दिया, जिससे ओली सरकार पर संकट और गहराता दिख रहा है. इस्तीफे के बाद विपक्ष और प्रदर्शनकारी युवाओं ने सरकार को पूरी तरह भंग करने की मांग तेज कर दी है.
विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रही जेन-ज़ी पीढ़ी ने मौजूदा संसद को भंग करने, अंतरिम सरकार गठित करने और जल्द चुनाव कराने की मांग रखी है. युवाओं का कहना है कि केवल एक अंतरिम सरकार ही उनकी समस्याओं का समाधान निकाल सकती है. प्रदर्शनकारी सांसदों के इस्तीफे और निर्दोष प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ओली ने आश्वासन दिया है कि इस पूरी घटना की जांच के लिए 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट पेश करने वाली समिति बनाई जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार सोशल मीडिया को रोकने के पक्ष में नहीं है, बल्कि सुरक्षित इस्तेमाल के लिए माहौल बनाएगी. लेकिन मौजूदा हालात यह संकेत दे रहे हैं कि नेपाल का संकट सिर्फ जांच समिति से सुलझने वाला नहीं है.