नई दिल्ली: अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ा झटका देते हुए शिकागो में नेशनल गार्ड की तैनाती पर रोक लगा दी है. यह फैसला ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन सख्ती और आंतरिक सुरक्षा नीति के लिए अहम माना जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा है, जिसमें इलिनोइस के मिडवेस्टर्न राज्य के शिकागो शहर की सड़कों पर सैनिकों की तैनाती पर रोक लगाई गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने बिना हस्ताक्षर वाले आदेश में कहा कि इस शुरुआती चरण में सरकार यह साबित नहीं कर सकी है कि उसके पास इलिनोइस में सैन्य बलों के जरिए कानून लागू कराने का स्पष्ट अधिकार है. अदालत ने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई ठोस कानूनी आधार सामने नहीं आया है, जिसके तहत सेना को राज्य में कानून व्यवस्था संभालने के लिए तैनात किया जा सके.
इस फैसले से तीन रूढ़िवादी जज असहमत रहे. जस्टिस सैमुअल एलिटो, क्लेरेंस थॉमस और नील गोरसच ने कोर्ट के आदेश पर असहमति जताई. इसके बावजूद बहुमत ने निचली अदालत के फैसले को जारी रखने का निर्णय लिया.
रिपब्लिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल अब तक तीन डेमोक्रेट शासित शहरों लॉस एंजेलिस, वाशिंगटन और मेम्फिस में नेशनल गार्ड की तैनाती की है. हालांकि पोर्टलैंड और शिकागो में सैनिक भेजने की कोशिशें अदालतों में फंस गई हैं.
व्हाइट हाउस की प्रवक्ता एबिगेल जैक्सन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राष्ट्रपति ने संघीय कानून प्रवर्तन अधिकारियों की सुरक्षा और सरकारी संपत्ति को दंगाइयों से बचाने के लिए नेशनल गार्ड को सक्रिय किया था. उन्होंने कहा कि कोर्ट के इस फैसले से प्रशासन के मुख्य उद्देश्य पर कोई असर नहीं पड़ता.
इलिनोइस के डेमोक्रेट गवर्नर जेबी प्रिट्जकर और शिकागो के मेयर ने शुरू से ही इस तैनाती का विरोध किया था. गवर्नर प्रिट्जकर ने फैसले का स्वागत करते हुए इसे इलिनोइस और अमेरिकी लोकतंत्र की बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा कि यह फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा सत्ता के दुरुपयोग पर लगाम लगाने की दिशा में अहम कदम है.
दो निचली अदालतों से रोक लगने के बाद ट्रंप प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में आपात अपील दायर की थी. सॉलिसिटर जनरल जॉन सॉयर ने दलील दी थी कि शिकागो में संघीय एजेंटों को लगातार भीड़ की हिंसा का खतरा झेलना पड़ रहा है. इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की आपात अपील को खारिज कर दिया. फिलहाल शिकागो क्षेत्र में करीब 300 नेशनल गार्ड जवान सक्रिय हैं, लेकिन वे किसी भी तरह के ऑपरेशन में शामिल नहीं हैं.