भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में एक नया मोड़ आया है, जब अमेरिका ने भारत से आयातित कुछ वस्तुओं पर जवाबी शुल्क लगाने का फैसला किया. हालांकि, भारत के ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इंस्टीट्यूट (जीटीआरआई) का मानना है कि इस कदम से भारत को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. जीटीआरआई ने अपनी रिपोर्ट में यह कहा कि अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क भारत के व्यापार को गंभीर रूप से प्रभावित नहीं करेंगे और भारतीय उद्योगों को इस स्थिति से उबरने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा.
अमेरिका का जवाबी शुल्क: अमेरिका ने भारत के कुछ उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य अमेरिका के घरेलू उद्योगों को सुरक्षा प्रदान करना और व्यापार संतुलन को बेहतर बनाना है. अमेरिका का कहना है कि यह शुल्क उन उत्पादों पर लगाए जाएंगे, जिनमें वेतन और अन्य लागतों के संदर्भ में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा अमेरिका के उद्योगों के लिए चुनौतीपूर्ण हो रही है.
जीटीआरआई के विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के इस कदम का असर भारतीय उत्पादों की निर्यात क्षमता पर सीमित रहेगा. संस्था के अनुसार, भारत के प्रमुख निर्यात जैसे कि सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव सेक्टर को इस तरह के शुल्क से अधिक प्रभावित होने की संभावना नहीं है. इसके अलावा, जीटीआरआई ने यह भी कहा कि भारत को दूसरे बाजारों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने का अवसर मिलेगा, जिससे अमेरिका की निर्भरता में कमी आएगी.
भारत सरकार ने इस कदम पर चिंता जताई है, लेकिन साथ ही उसने यह भी कहा कि वह अमेरिका के साथ बातचीत के जरिए इस मसले का समाधान खोजने के लिए तैयार है. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि अमेरिका का यह कदम द्विपक्षीय व्यापार को प्रभावित कर सकता है, लेकिन भारत अन्य देशों के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने की दिशा में काम करेगा.
अमेरिका द्वारा लगाए गए जवाबी शुल्क का भारत पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, इस बात की पुष्टि जीटीआरआई के विश्लेषण में की गई है. हालांकि, भारत के लिए यह समय है कि वह अपने निर्यात बाजारों में विविधता लाए और अमेरिका जैसे बड़े व्यापारिक साझेदार के अलावा अन्य देशों के साथ भी अपने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करे.