menu-icon
India Daily

यूक्रेन ने रूस के सबसे बड़े तेल टर्मिनल पर पहली बार किया हमला, ड्रोन से मचाई तबाही

यूक्रेन ने बाल्टिक सागर में रूस के सबसे बड़े तेल टर्मिनल प्रिमोर्स्क पर ड्रोन हमला किया, जिससे रूस की तेल निर्यात प्रणाली पर बड़ा असर पड़ा.

auth-image
Edited By: Kuldeep Sharma
ai generated image
Courtesy: web

Russia ukraine war: यूक्रेन ने रूस के प्रिमोर्स्क तेल टर्मिनल पर एक बड़े ड्रोन हमले को अंजाम दिया, जो पिछले कई महीनों में सबसे बड़े हवाई हमलों में से एक माना जा रहा है. इस हमले का उद्देश्य रूस के समुद्री तेल निर्यात को बाधित करना था और यह रूस की ऊर्जा आपूर्ति के लिए एक बड़ा झटका है.

यूक्रेन के सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, प्रिमोर्स्क तेल पोर्ट, जो बाल्टिक पाइपलाइन सिस्टम का अंतिम स्टेशन है और रूस के समुद्री निर्यात के लिए महत्वपूर्ण है, इस हमले का मुख्य लक्ष्य था. लुकोइल सुविधाओं को भी निशाना बनाया गया. रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, 221 ड्रोन्स में से आधे से अधिक को ब्रायनस्क और स्मोलेंस्क क्षेत्रों में मार गिराया गया. लेंसिंग्राड क्षेत्र में 28 ड्रोन्स को रोक लिया गया और टर्मिनल के एक जहाज और पंपिंग स्टेशन में आग लगी, जिसे बिना किसी हताहत या रिसाव के बुझा दिया गया.

यूक्रेन में नागरिकों पर प्रभाव

हमले के दौरान यूक्रेन के सुमी क्षेत्र में एक राइफल बम से एक गांव को निशाना बनाया गया, जिसमें दो नागरिक मारे गए. ब्रायनस्क में एक ड्रोन बस से टकराया, जिसमें सात लोग घायल हुए, जिनमें पांच नागरिक और दो सैनिक शामिल थे. सेंट पीटर्सबर्ग के पुल्कोवो एयरपोर्ट पर भी अस्थायी रूप से उड़ानों को रोका गया.

रूस की ऊर्जा आपूर्ति पर असर

प्रिमोर्स्क और उस्त-लूगा टर्मिनलों में हमले के बाद रूस की 'शैडो फ्लीट' और पुराने टैंकरों की गतिविधियों पर असर पड़ा. यूक्रेन के हमले और पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण रूस के ईंधन भंडार और तेल पर उत्पादन क्षमता में गिरावट आई है. पिछले महीने व्हाइट हाउस ने बताया कि अगस्त में यूक्रेन ने रूस की तेल रिफाइनिंग क्षमता का 20% ठप कर दिया.

युद्ध और अंतरराष्ट्रीय तनाव

यूक्रेन द्वारा सीमा पार ड्रोन हमले युद्ध की नई रणनीति बन गए हैं. हाल के महीनों में यूक्रेन ने कई क्षेत्रों में रिफाइनरीज और लॉजिस्टिक हब्स को निशाना बनाया है. ये हमले रूस और उसके सहयोगी बेलारूस की सैन्य कसरतों से ठीक पहले हुए, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक ऊर्जा बाजार पर तनाव बढ़ गया है.