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Sugar Tax 2026: 'ज्यादा मीठा, ज्यादा टैक्स', इस मुस्लिम देश में ज्यादा शुगर वाले प्रोडक्ट्स के दाम में लगेगी 'आग'

UAE Sugar Tax 2026: अब तक सभी मीठे पेय पदार्थों पर 50% टैक्स लगता था. लेकिन 2026 से यह टैक्स चीनी की मात्रा के आधार पर तय होगा.

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Edited By: Reepu Kumari
UAE Sugar Tax 2026
Courtesy: Pinterest

UAE Sugar Tax 2026: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने चीनी-मीठे पेय पदार्थों पर कर लगाने की नीति में बड़ा बदलाव किया है. 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले इन नियमों के तहत अब फिक्स्ड 50% टैक्स की जगह स्तरीय आयतन-आधारित टैक्स प्रणाली लागू होगी. इसका सीधा मतलब है कि किसी पेय में जितनी ज्यादा चीनी होगी, उस पर उतना ही ज्यादा टैक्स लगेगा. सरकार का मकसद इस बदलाव से उपभोक्ताओं को हेल्दी विकल्पों की ओर प्रेरित करना है.

यह नया मॉडल सिर्फ उपभोक्ताओं पर ही नहीं, बल्कि पेय बनाने वाली कंपनियों, आयातकों और रिटेलर्स पर भी बड़ा असर डालेगा. अब उन्हें अपने प्रोडक्ट्स का लेबलिंग, चीनी स्तर और टैक्स कैटेगरी के हिसाब से अपडेट करना होगा. वहीं, ग्राहकों को भी यह देखना होगा कि उनके पसंदीदा ड्रिंक्स में प्रति 100ml कितनी चीनी है, क्योंकि यही अब कीमत का निर्धारण करेगी.

यूएई ‘शुगर टैक्स’ अपडेट क्या है?

अब तक सभी मीठे पेय पदार्थों पर 50% टैक्स लगता था. लेकिन 2026 से यह टैक्स चीनी की मात्रा के आधार पर तय होगा.

उच्च शर्करा वाले पेय (8 ग्राम या अधिक प्रति 100ml) – सबसे ज्यादा टैक्स

मध्यम शर्करा वाले पेय (5 से 8 ग्राम से कम) – मध्यम टैक्स

निम्न शर्करा वाले पेय (5 ग्राम से कम) – कम टैक्स

ऊर्जा पेय पर अब भी 100% टैक्स लागू रहेगा, जबकि केवल प्राकृतिक शर्करा वाले और बिना अतिरिक्त स्वीटनर वाले उत्पादों को छूट मिल सकती है.

सरकार ने क्यों किया ये बदलाव?

इस नई टैक्स पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य जन स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है. बढ़ती शुगर खपत से मोटापा और डायबिटीज जैसी बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. सरकार चाहती है कि लोग हेल्दी ड्रिंक्स चुनें और कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की रेसिपी बदलकर चीनी की मात्रा घटाएं.

साथ ही, यह नीति यूएई को खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) की नई टैक्स गाइडलाइन के अनुरूप भी बनाती है. इससे टैक्स सिस्टम ज्यादा आधुनिक, निष्पक्ष और पारदर्शी बनेगा.

इसका असर किन पर होगा?

उपभोक्ता और परिवार – जिनकी आदत ज्यादा मीठे ड्रिंक्स पीने की है, उनके खर्च बढ़ेंगे. वहीं कम चीनी या शुगर-फ्री विकल्प लेने वालों को लागत कम पड़ेगी.

निर्माता और आयातक – कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स की चीनी रिपोर्ट, लेबलिंग और FTA पोर्टल पर पंजीकरण अपडेट करना होगा.

बिजनेस और रिटेलर्स – स्टॉक मैनेजमेंट और प्राइसिंग में बदलाव करना होगा. अगर पहले से पुराने 50% टैक्स पर प्रोडक्ट खरीदे गए हैं और वे नई कम दर में आते हैं, तो सरकार रिफंड या एडजस्टमेंट का विकल्प देगी.