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India Daily

'यूरोप में रूसी ऊर्जा बिल्कुल नहीं होनी चाहिए', जेलेंस्की ने बताया रूस को कमजोर करने का तरीका

जेलेंस्की के इस बयान का उद्देश्य यूरोप को रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता से मुक्त करना है, क्योंकि रूस ने पहले भी ऊर्जा को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है. उन्होंने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रस्तावित किया है, ताकि यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Zelenskyy
Courtesy: Social Media

Russian energy in Europe: यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है, जिसमें उन्होंने यूरोप को रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को और कम करने की अपील की है.  जेलेंस्की ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यूरोप में रूसी ऊर्जा संसाधनों की कोई जगह नहीं होनी चाहिए.  उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि अमेरिका ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वह रूसी आपूर्ति की जगह लेने के लिए जितनी जरूरत हो, उतनी गैस और तेल की आपूर्ति करने को तैयार है. 

जेलेंस्की के इस बयान का उद्देश्य यूरोप को रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता से मुक्त करना है, क्योंकि रूस ने पहले भी ऊर्जा को एक राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है.  उन्होंने मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों को वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत के रूप में प्रस्तावित किया है, ताकि यूरोप की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. 

रूस पर आर्थिक दबाव भी बढ़ेगा

इस कदम से न केवल यूरोप की ऊर्जा स्वतंत्रता बढ़ेगी, बल्कि रूस पर आर्थिक दबाव भी बढ़ेगा, जो पहले से ही यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष के कारण आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.  जेलेंस्की का मानना है कि यूरोप को रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के लिए तत्काल और दीर्घकालिक दोनों तरह के उपाय करने की आवश्यकता है. 

इस संदर्भ में, यूक्रेन ने पहले ही कई कदम उठाए हैं, जैसे कि रूसी गैस की आपूर्ति को बंद करना और यूरोपीय ऊर्जा नेटवर्क से जुड़ना.  साथ ही, यूक्रेन अपने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार कर रहा है, जिसमें जैव ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देना और अमेरिकी हथियारों की खरीदारी को बढ़ाना शामिल है. 

जेलेंस्की के बयान के मयाने

जेलेंस्की के इस बयान से यह स्पष्ट है कि यूरोप को रूसी ऊर्जा पर अपनी निर्भरता को खत्म करने के लिए एक सामूहिक रणनीति अपनानी होगी.  यह केवल ऊर्जा सुरक्षा का मामला नहीं है, बल्कि यूरोप की समग्र सुरक्षा और स्थिरता का भी सवाल है.  इसलिए, यूरोपीय देशों को इस दिशा में त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है.