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India Daily
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UN में तालिबान को बड़ा झटका, सदस्यता को लेकर हाथ लगी मायूसी 

UN denies Afghan Taliban Seat: अफगानिस्तान में दो साल से अधिक समय से सत्ता संचालित कर रहे तालिबान को करारा झटका लगा है. यह झटका संयुक्त राष्ट्र की ओर से लगा है. यूएन सिक्योरिटी काउंसलि की ओर से लगातार तीसरी बार तालिबानी सरकार के सदस्यता के दावे को ठुकरा दिया है.

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Shubhank Agnihotri
Taliban

हाइलाइट्स

  • पहले दुनिया से मिले मान्यता फिर होगा विचार!
  • वैश्विक जिम्मेदारियां निभाए तालिबान  

UN denies Afghan Taliban Seat: अफगानिस्तान में दो साल से अधिक समय से सत्ता संचालित कर रहे तालिबान को करारा झटका लगा है. यह झटका संयुक्त राष्ट्र की ओर से लगा है. यूएन सिक्योरिटी काउंसलि की ओर से लगातार तीसरी बार तालिबानी सरकार के सदस्यता के दावे को ठुकरा दिया है. इस मेंबरशिप के बाद ही तालिबानी राजदूत को यूएन में मान्यता मिल पाती. वहीं तालिबान को पाकिस्तान से भी निराशा हाथ लगी है. इसके पीछे की बड़ी वजह टीटीपी को दोनों मुल्कों के बीच चल रही तल्खियां हैं. 


तीसरी बार हाथ लगी निराशा 

तालिबानी लड़ाके साल 2021 में अफगानिस्तान की गनी सरकार को सत्ता से हटाकर खुद काबिज हो गए थे. तब से तालिबान की ओर से लगातार उन्हें मान्यता देने के अंतर्राष्ट्रीय प्रयास किये जा रहे हैं. इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए तालिबान की कोशिश थी कि वे यूएन में अपना राजदूत तैनात कर सकें लेकिन यूएन की ओर से उन्हें तीसरी बार निराशा हाथ लगी है. यूएन के पैनल ने तालिबान के इस अनुरोध को खारिज कर दिया है. 


पहले दुनिया से मिले मान्यता फिर होगा विचार!

यूएन की इस समिति में तीन वीटो सदस्य रूस, चीन, अमेरिका के प्रतिनिधि शामिल थे. न्यूयॉर्क में गुरुवार को हुई बैठक में फैसला लिया गया कि तालिबान के प्रतिनिधि को स्वीकृति न दी जाए. इसके पीछे हवाला देते हुए कहा गया कि अफगानिस्तान की तालिबान सरकार को दुनियाभर से अभी तक मान्यता नहीं मिली है. वैश्विक मान्यता के लगातार प्रयास कर रहे तालिबानी प्रशासन के लिए यह झटका काफी अहमियत रखता है. 

वैश्विक जिम्मेदारियां निभाए तालिबान  

यूएन के इस फैसले के साथ ही नासिर अहमद फैक ही संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान का नेतृत्व करते रहेंगे. इनकी नियुक्ति तत्कालीन अशरफ गनी सरकार ने की थी. यूएन ने भी जोर देते हुए कहा कि तालिबान को मान्यता तभी मिलेगी जब वह महिलाओं को अधिकार देगा और मानवीय जिम्मेदारियों का पालन करेगा. इस फैसले पर तालिबान को चीन से भी निराशा हाथ लगी. आपको बता दें कि चीन हालिया वक्त में तालिबान प्रशासन के साथ लगातार रिश्ते मजबूत कर रहा है.