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India Daily

आज रात दिखेगा साल 2025 का आखिरी 'सुपरमून', जानें क्यों कहा जाता है इसे 'कोल्ड मून'?

भारत में इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा या धनु पूर्णिमा भी कहते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. 2025 में खास बात यह रही कि तीन लगातार पूर्णिमाएं (अक्टूबर, नवंबर और अब दिसंबर) सुपरमून की श्रेणी में आईं. आज की पूर्णिमा इस तिकड़ी की सबसे शानदार समाप्ति है. अगली सुपरमून सीरीज अब 2026 में आएगी.

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Edited By: Antima Pal
Supermoon 2025
Courtesy: x

आज रात (4 दिसंबर 2025) साल की आखिरी और सबसे प्रभावशाली सुपरमून आसमान में चमकेगी. इसे 'कोल्ड सुपरमून' या 'ठंडी पूर्णिमा' कहा जा रहा है. यह 2025 की दूसरी सबसे बड़ी और सबसे चमकदार पूर्णिमा होगी, जो सामान्य पूर्णिमा की तुलना में करीब 10-14 प्रतिशत बड़ी और 30 प्रतिशत तक अधिक रोशनी वाली दिखेगी.

सूर्यास्त के ठीक बाद पूर्वी क्षितिज पर जब यह विशाल चांद उगेगा, तो उसका नजारा सचमुच लुभावना होगा. कम ऊंचाई पर होने की वजह से 'मून इल्यूजन' (चंद्र भ्रम) के कारण यह और भी बड़ा लगेगा, खासकर जब पेड़ों, इमारतों या पहाड़ों के सामने दिखे. भारत के हर कोने से इसे बिना किसी विशेष उपकरण के नंगी आंखों से देखा जा सकेगा.

आज रात दिखेगा साल 2025 का आखिरी 'सुपरमून'

सुपरमून तब बनती है जब पूर्णिमा ठीक उसी समय होती है जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक (पेरिजी) होता है. आज रात चंद्रमा हमसे लगभग 3,57,000 किलोमीटर दूर होगा, जो औसत दूरी से काफी कम है. यही कारण है कि यह बड़ा और चमकीला दिखता है. दिसंबर की पूर्णिमा को उत्तरी गोलार्ध में सदियों से 'कोल्ड मून' कहा जाता रहा है, क्योंकि यह साल की सबसे लंबी और ठंडी रातों में आती है. 

भारत में इसे मार्गशीर्ष पूर्णिमा या धनु पूर्णिमा भी कहते हैं, जो धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है. 2025 में खास बात यह रही कि तीन लगातार पूर्णिमाएं (अक्टूबर, नवंबर और अब दिसंबर) सुपरमून की श्रेणी में आईं. आज की पूर्णिमा इस तिकड़ी की सबसे शानदार समाप्ति है. अगली सुपरमून सीरीज अब 2026 में आएगी.

कब और कैसे देखें?

सूर्यास्त के 10-15 मिनट बाद पूर्व दिशा में नजर रखें.

जितना खुला आसमान हो, उतना बेहतर.

शहरों में किसी ऊंची जगह या छत पर जाएं, ताकि इमारतें नजर न आएं.

यह पूर्णिमा रात भर दिखेगी, लेकिन सूर्यास्त के समय का नजारा सबसे यादगार रहेगा.

बादल न रहें तो आज रात का चांद सचमुच जादुई होगा.