South Africa Election: दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनाव के लिए 29 मई को मतदान होगा. इस चुनाव के बाद तय होगा की दक्षिण अफ्रीका का अगला राष्ट्रपति कौन होगा? अफ्रीका के गांधी नेल्सन मंडेला ने दशकों के लंबे संघर्ष और रंगभेद की लड़ाई के बाद यहां लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुरुआत हुई. साउथ अफ्रीका में साल 1994 में पहली बार लोकतांत्रिक सरकार का चुनाव हुआ और वे राष्ट्रपति बने. नेल्सन मंडेला अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस (ANC) का नेतृत्व करते थे. एएनसी तब से सत्ता में हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, इस पार्टी की जड़े इतनी गहरी हैं कि यह लगातार तीन दशकों से वहां की सत्ता संभाल रही है, लेकिन इस बार पार्टी की हालत खराब नजर आ रही है. खबर है कि इस बार पार्टी बहुमत न हासिल कर पाए. नेल्सन मंडेला के नेतृत्व वाली सरकार ने 62.5 फीसदी वोट हासिल किए थे.
दक्षिण अफ्रीका में प्रेसिडेंट पद का कार्यकाल 5 सालों का होता है. नियम के मुताबिक, यहां कोई एक शख्स दो बार ही राष्ट्रपति बन सकता है. दक्षिण अफ्रीका में आम चुनाव के साथ राज्यों में चुनाव हो रहा है, इस कारण इसे प्रांतीय चुनाव भी कहा जा रहा है. दक्षिण अफ्रीका में कुल 9 प्रांत हैं. मतदान के लिए देशभर में 23 हजार पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं. यहां की कुल आबादी लगभग 6 करोड़ के आस-पास है जिसमें 2 करोड़ 80 लाख लोग पंजीकृ्चत वोटर हैं. भारत की तरह यहां भी मतदान करने की न्यूनतम आयु 18 साल है.
दक्षिण अफ्रीका की संसद को नेशनल असेंबली कहकर पुकारा जाता है. इस असेंबली में कुल सीटों की संख्या 400 है. इन सीटों के सदस्य प्रोपोर्शनल वोटिंग प्रोसीजर के माध्यम से चुने जाते हैं. किसी भी दल को बहुमत हासिल करने के लिए नेशनल असेंबली की 50 फीसदी सीटें हासिल करनी होती हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण अफ्रीकी इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी समर में उतर रहे हैं. इस चुनाव में करीब 15 हजार उम्मीदवार मैदान में हैं.
पिछले चुनाव में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस ने 230 सीटें हासिल की थीं. इस चुनाव में पार्टी को 57.5 फीसदी वोट हासिल हुए थे. सदन में दूसरे नंबर की पार्टी डेमोक्रेटिक अलायंस है. इस गठबंधन के पास कुल 84 सीटें हैं. इसके अलावा इकॉनमिक फ्रीडम फाइटर EFF के पास 44 सीटें और राइट विंग पार्टी इंकाथा फ्रीडम पार्टी IFP के पास 14 सीटें हैं.
दक्षिण अफ्रीकी जनता सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करती है. मतदाता संसद के सदस्यों को चुनकर सदन भेजते हैं. ये सदस्य जिसके पक्ष में बहुमत यानी 201 या उससे अधिक मत देकर समर्थन देते हैं, वह वहां का राष्ट्रपति बनता है. एएनसी यदि 50 फीसदी सीटें लाने में कामयाब हो गई तो वह फिर से सरकार के गठन में कामयाब हो जाएगी.