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India Daily

'शिमला समझौता अब डेड डॉक्यूमेंट', पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा- LOC अब केवल एक युद्ध विराम रेखा

ख्वाजा आसिफ ने कहा, शिमला समझौता अब एक मृत दस्तावेज है. नियंत्रण रेखा (LoC) अब सिर्फ एक युद्धविराम रेखा बनकर रह गई है, जिसे भारत के पहले पीएम नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में युद्धविराम घोषित किया था.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Khawaja Asif
Courtesy: Social Media

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के हालिया बयान ने भारत-पाकिस्तान के बीच के ऐतिहासिक शिमला समझौते को लेकर एक बार फिर विवाद खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा है कि शिमला समझौता अब एक "मृत दस्तावेज" बन चुका है और इसका कोई Relevance नहीं रह गया है. उनका यह बयान एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल पर प्रसारित एक कार्यक्रम के दौरान सामने आया, जहां उन्होंने नेहरू की नीतियों पर भी सवाल उठाए.

ख्वाजा आसिफ ने कहा, शिमला समझौता अब एक मृत दस्तावेज है. नियंत्रण रेखा (LoC) अब सिर्फ एक युद्धविराम रेखा बनकर रह गई है, जिसे नेहरू ने अंतरराष्ट्रीय दबाव में युद्धविराम घोषित किया था. उनका यह बयान भारत और पाकिस्तान के बीच 1972 में हुए शिमला समझौते को लेकर एक नई बहस छेड़ सकता है, जो दोनों देशों के बीच विवादित क्षेत्र कश्मीर को लेकर एक महत्वपूर्ण समझौता था.

शिमला समझौते के तहत, भारत और पाकिस्तान ने सहमति जताई थी कि वे कश्मीर मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाएंगे और नियंत्रण रेखा (LoC) को एक अस्थायी सीमा के रूप में मान्यता देंगे. हालांकि, ख्वाजा आसिफ का यह बयान इस समझौते की प्रासंगिकता पर सवाल उठाता है.

भारत के संदर्भ में नेहरू की नीतियों को लेकर लंबे समय से बहस होती रही है. कई विशेषज्ञ और राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि नेहरू की कुछ निर्णयों ने भारत को लंबे समय तक प्रभावित किया है. ख्वाजा आसिफ का बयान नेहरू की उस नीति को लेकर है, जहां उन्होंने 1947-48 के युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव में युद्धविराम का ऐलान किया था, जिसके परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा का निर्माण हुआ.