Ukraine-Russia Conflict: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की. यह मुलाकात ट्रंप की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत के ठीक बाद हुई. इस बैठक का मुख्य उद्देश्य रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध और शांतिपूर्ण समाधान के प्रयासों पर चर्चा करना था.
मुलाकात के दौरान, ट्रंप ने जेलेंस्की की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक मजबूत नेता बताया. साथ ही कहा कि पुतिन के साथ उनकी बातचीत काफी पॉजिटिव रही. उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि शांति स्थापित हो सकती है. हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि पुतिन और जेलेंस्की के बीच बनती नहीं है और इनके रिश्ते काफी खराब हैं. ट्रंप ने कहा कि दोनों नेताओं को बातचीत के लिए अलग-अलग मिलना पड़ सकता है, क्योंकि उनके शांतिपूर्ण ढंग से एक साथ बैठने की संभावना कम है.
PETER DOOCY: “If you OK tomahawks to Ukraine, what's going to happen if the United States is in a conflict and we need the Tomahawks? Do we have enough?”
PRESIDENT TRUMP: “That's that's the problem. We need Tomahawks and we need a lot of other things that we've been sending over… pic.twitter.com/jJOLpNiaAr— Fox News (@FoxNews) October 17, 2025Also Read
ट्रंप, यूक्रेन को टॉमहॉक मिसाइल जैसे पावरफुल हथियार भेजने के लिए बहुत ज्यादा श्योर नहीं दिखे. उन्होंने यह साफ किया कि अमेरिका भारी मात्रा में हथियारों को सप्लाई कर किसी भी वॉर में शामिल नहीं होना चाहता है. उनका कहना है कि युद्ध ऐसे हथियारों की जरूरतों के बिना खत्म हो जाएंगे.
ट्रंप ने इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका इस युद्ध में हथियार बेचने के लिए नहीं, बल्कि हिंसा को खत्म करने के लिए है. उनकी यह टिप्पणी रूसी राष्ट्रपति पुतिन की उस चेतावनी के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि लॉन्ग-रेंज मिसाइलें मुहैया कराने से शांति वार्ता मुश्किल हो सकती है और युद्ध बढ़ सकता है. ट्रंप का उद्देश्य युद्ध और आगे की हिंसा को रोकना है.
जेलेंस्की ने मिडिल ईस्ट में युद्धविराम कराने के ट्रंप के प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया. उन्होंने यह भी कहा कि यूक्रेनी सेना और उनकी अर्थव्यवस्था काफी कमजोर हो रही है, जिससे युद्ध खत्म करने के लिए यह एक सही समय माना जा रहा है. रूस ने जो यूक्रेन पर हमला किया है उसके बाद जेलेंस्की समर्थन मांग रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने अमेरिकी ऊर्जा और रक्षा कंपनियों से मुलाकात की.