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India Daily

तीसरे विश्व युद्द का खतरा बढ़ा! पुतिन ने ट्रंप के सामने परमाणु हथियारों को लेकर रखी बड़ी शर्त, क्या झुकेंगे अमेरिकी राष्ट्रपति?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि रूस अमेरिका के साथ हुए न्यू स्टार्ट परमाणु हथियार संधि का पालन फरवरी 2026 तक एक साल और करेगा.

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Edited By: Kuldeep Sharma
trump - putin
Courtesy: social media

रूस और अमेरिका के बीच परमाणु हथियारों की सबसे अहम संधि न्यू स्टार्ट को लेकर राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि रूस इस समझौते की समयसीमा बढ़ाकर फरवरी 2026 तक इसके नियमों का पालन करेगा. पुतिन ने चेतावनी दी कि अगर यह संधि खत्म होती है तो दुनिया में परमाणु संतुलन और वैश्विक स्थिरता पर गंभीर असर पड़ेगा.

पुतिन ने कहा कि न्यू स्टार्ट को समाप्त करना किसी भी तरह से अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सही नहीं होगा. यह समझौता 2010 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और रूसी राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव के बीच हुआ था. इसके तहत दोनों देशों पर 1,550 से अधिक परमाणु वारहेड और 700 से अधिक मिसाइलों व बॉम्बर्स को तैनात न करने की सीमा तय है. यह संधि व्यापक निरीक्षण और पारदर्शिता सुनिश्चित करती है, हालांकि 2020 से ऑन-साइट इंस्पेक्शन स्थगित हैं.

अमेरिका से उम्मीद

पुतिन ने स्पष्ट किया कि रूस केवल तभी इस समझौते का पालन करेगा जब अमेरिका भी इसका पालन करे. उन्होंने कहा कि मास्को एकतरफा प्रतिबद्धता नहीं निभाएगा और उम्मीद करता है कि वॉशिंगटन भी संधि की शर्तों पर कायम रहेगा. उन्होंने कहा कि 'अगर अमेरिका पीछे हटता है, तो इस समझौते का कोई अर्थ नहीं रहेगा.'

यूक्रेन युद्ध की छाया

गौरतलब है कि फरवरी 2023 में रूस ने अमेरिका द्वारा परमाणु साइट्स पर निरीक्षण की अनुमति देने से इंकार कर दिया था. पुतिन का तर्क था कि जब वॉशिंगटन और नाटो खुलेआम रूस की हार की बात कर रहे हैं, तब इस तरह की पारदर्शिता संभव नहीं है. इसके बावजूद मास्को ने संधि को पूरी तरह खत्म नहीं किया और कहा कि वह परमाणु हथियारों की संख्या पर लगी सीमा का सम्मान करेगा. हालांकि, यूक्रेन युद्ध और क्रीमिया पर हालिया हमलों ने रूस-नाटो संबंधों में तनाव और बढ़ा दिया है.

भविष्य की चुनौती

विशेषज्ञों का मानना है कि इस संधि का भविष्य बेहद अनिश्चित है. अगर फरवरी 2026 के बाद न्यू स्टार्ट का कोई विकल्प तैयार नहीं हुआ तो दुनिया में हथियारों की नई होड़ शुरू हो सकती है. ऐसे में यह बयानबाजी केवल समय खरीदने जैसा कदम भी हो सकता है. अब यह देखना होगा कि अमेरिका पुतिन के इस प्रस्ताव पर कैसे प्रतिक्रिया देता है और क्या दोनों महाशक्तियां फिर से बातचीत की मेज पर लौट पाती हैं.