Pakistan Saudi Arabia Defense Deal: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच ऐतिहासिक डिफेंस डील साइन हुई, जिसने एशिया और मिडिल ईस्ट की भू-राजनीति को हिला कर रख दिया है. पाकिस्तान का तो पूरी दुनिया को समझ आया कि वो भारत से बचने और अपनी कंगाली से उबरने के लिए ये सब कर रहा है. लेकिन सऊदी अरब की क्या मजबूरी हो गई. इस समझौते के मुताबिक, अगर पाकिस्तान पर हमला होगा तो सऊदी अरब उसकी मदद करेगा और अगर सऊदी पर हमला होगा तो पाकिस्तान उसके साथ खड़ा होगा. यह व्यवस्था बिल्कुल NATO देशों के सुरक्षा समझौते जैसी है.
यह व्यवस्था बिल्कुल NATO देशों के सुरक्षा समझौते जैसी है. इस पर सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने मुहर लगाई. पाकिस्तान का इंट्रेस्ट साफ है भारत से सीमा तनाव और ऑपरेशन सिंदूर ने उसे डरा रखा है. 22 अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह कड़ी सैन्य कार्रवाई की, उससे पाकिस्तान की सीमाएं हिल गईं और उसने तुरंत सऊदी अरब जैसा ताकतवर सहयोगी खोज लिया.
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर तेल और डॉलर में डूबा सऊदी अरब पाकिस्तान जैसे कंगाल देश से क्यों जुड़ा? दरअसल, हालिया घटनाओं ने सऊदी को अपनी सुरक्षा कमजोर लगने लगी है. इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में हमास नेताओं पर हमला किया था. अमेरिका ने इस पर निंदा तो की, लेकिन ठोस कदम नहीं उठाया. इसी से सऊदी की चिंता और बढ़ गई कि अगर इजरायल उसके खिलाफ कोई कदम उठाए, तो क्या अमेरिका उसकी रक्षा करेगा? इस शंका ने सऊदी को पाकिस्तान जैसा परमाणु संपन्न देश सहयोगी बनाने को मजबूर कर दिया. साथ ही ईरान से दुश्मनी, इस्लामिक देशों को एकजुट करना और अपने खिलाफ बढ़ते खतरे सऊदी के लिए मुख्य वजहें बनीं.